उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस पर आजादी के बाद वीर सावरकर या नेताजी सुभाष चंद्र बोस सहित तमाम स्वतंत्रता सेनानियों को आजादी के बाद यथोचित सम्मान नहीं देने का आरोप लगाया है।
योगी ने शनिवार को वीर सावरकर की जीवनी पर लिखित एक पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा, ‘‘आज़ादी के बाद किसी भी राष्ट्रनायक को जो सम्मान मिलना चाहिए था,चाहे वो नेताजी सुभाष रहे हों या अन्य, कांग्रेस ने कभी नही किया।” उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद वीर सावरकर को जो सम्मान मिलना था, वह नहीं मिला। 1960 तक उनको उनकी पैतृक संपत्ति नही मिल पाई,यद्यपि आज़ादी 1947 में मिल चुकी थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तत्कालीन सत्ता लोलुप दलों ने सावरकर की तुलना जिन्ना से की, जबकि सावरकर ने कहा था जिन्ना की सोच संकुचित है, संकीर्ण है, राष्ट्र को तोड़ने वाली है और जिन्ना भारत के विभाजन का कारक है। उन्होंने कहा कि देश के साथ गद्दारी करने वाले हर व्यक्ति को ये देश सज़ा जरूर देगा। उन्होंने कहा कि सावरकर से बड़ा क्रांतिकारी इस सदी में नहीं हुआ। योगी ने कांग्रेस का नाम लिये बिना कहा कि वीर सावरकर की प्रतिभा को छिपाने की कोशिश पहले अंग्रेजों ने की और फिर आज़ादी के बाद, जिनके हाथ सत्ता आयी, उन्होने भी यही संभव प्रयास किया।”
उन्होंने उदय माहुरकल और चिरायु पंडित द्वारा लिखित पुस्तक ‘वीर सावरकर’ के विमोचन समारोह में कहा कि सावरकर समग्र कृति को शिक्षण संस्थाओं और पुस्तकालयों में जाना चाहिये। जिससे युवाओं को उन्हें जानने, समझने और शोध करने का अवसर मिल सके। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि अटल जी की सरकार में पोटर्ब्लेयर की सेल्युलर जेल में वीर सावरकर की प्रतिमा को लगवाया गया, जिसे बाद में कांग्रेस की सरकार ने हटवा दिया। उन्होंने कहा कि सावरकर बीसवी सदी के महानायक थे। उनसे बड़ा क्रांतिकारी, लेखक, कवि और दार्शनिक कोई नहीं हुआ। एक ही जन्म में दो-दो आजीवन कारावास की सजा काटने वाला व्यक्ति सामान्य नहीं हो सकता है।