संसद का शीतकालीन सत्र हंगामेदार रहा। जहां एक तरफ सरकार ने विपक्ष पर सदन नहीं चलने देने का आरोप लगाया तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष ने सरकार पर उनकी आवाज को दबाने का आरोप लगाया। इसके अलावा विपक्ष ने अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी और 12 सांसदों के निलंबन का मुद्दा एकजुटता के साथ उठाया। हालांकि यह मुद्दा सुलझा तो नहीं लेकिन एक दिन पहले टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन को भी शेष सत्र से निलंबित कर दिया गया था। हम बात लोकसभा और राज्यसभा में हुई कार्यवाही भी करेंगे। फिलहाल संसद का शीतकालीन सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया है। संसद के दोनों सदनों कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू हुआ। इस दौरान कुल 18 बैठकें हुई जो 83 घंटे 12 मिनट तक चलीं। सत्र के आरंभ में सदन के तीन सदस्यों ने 29 और 30 नवंबर को शपथ ली। इस सत्र में महत्वपूर्ण वित्तीय और विधायी कार्य निपटाए गए और इस दौरान 12 सरकारी विधेयक पेश किए गए और 9 विधेयक पारित भी हुए। लोकसभा अध्यक्ष ने बताया कि सदन का कार्य निष्पादन 82 प्रतिशत रहा और व्यवधान के कारण 18 घंटे 48 मिनट का समय बर्बाद हुआ। उन्होंने कहा कि सभा का कार्य निष्पादन आशा के अनुरूप नहीं रह पाया।
सत्र के दौरान कृषि विधि निरसन विधेयक 2021, राष्ट्रीय औषध शिक्षा अनुसंधान संस्थान संशोधन विधेयक 2021, केंद्रीय सतर्कता आयोग संशोधन विधेयक 2021, दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन संशोधन विधेयक 2021 और निर्वाचन विधि संशोधन विधेयक 2021 जैसे महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए गए। राज्यसभा की कार्यवाही भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस सत्र के दौरान सदन के कामकाज पर चिंता और अप्रसन्नता जताई। सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसके बाद विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक अखबार की खबर का हवाला देकर अयोध्या से संबंधित एक मुद्दा उठाने की कोशिश की। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह महत्वपूर्ण मुद्दा है लिहाजा उन्हें उठाने की अनुमति दी जानी चाहिए। इस पर सभापति ने खड़गे से कहा कि मुद्दे को उठाने के लिए उन्हें नोटिस देना चाहिए था।
इसके बाद सभापति ने अपने पारंपरिक संबोधन में सदस्यों से सामूहिक रूप से चिंतन करने और सत्र को लेकर आत्मनिरीक्षण करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि मुझे आपको यह बताते हुए खुशी नहीं महसूस हो रही कि सदन ने अपनी क्षमता से काफी कम काम किया। मैंने आप सभी से सामूहिक और व्यक्तिगत रूप से आत्मचिंतन करने का आग्रह किया कि क्या यह सत्र भिन्न और बेहतर हो सकता था। मैं इस सत्र को लेकर विस्तार से नहीं बोलना चाहता क्योंकि यह मुझे आलोचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करेगा।
राज्यसभा सचिवालय से मिली जानकारी के मुताबिक संपन्न हुए शीतकालीन सत्र की 18 बैठकों के दौरान राज्यसभा की उत्पादकता 47.90 प्रतिशत रही। बैठक के लिए 95 घंटे 6 मिनट का समय निर्धारित था। जिनमें से महज 45 घंटे 34 मिनट ही कार्य हुआ। जबकि हंगामे और व्यवधान की वजह से 49 घंटे 32 मिनट का समय बर्बाद हुआ। राज्यसभा में शीतकालीन सत्र के दौरान 10 विधेयक पारित हुए।