जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा जिले में शुक्रवार को आतंकवादी हमले में दो पुलिसकर्मियों की मौत पर जनता ने आक्रोश प्रकट किया है और आतंकवादियों से ही सवाल पूछा है कि लोगों को मारकर उन्हें क्या हासिल हो रहा है। दो पुलिसकर्मियों की हत्या के विरोध में स्थानीय लोगों ने श्रीनगर में कैंडिल मार्च निकाला और कहा कि आतंकवादियों की वजह से कश्मीरी बदनाम हो रहे हैं। हम आपको बता दें कि आतंकवादियों ने शुक्रवार शाम को बांदीपोरा जिले के गुलशन चौक पर पुलिस के एक दल पर गोलियां चलायीं थीं। गोलीबारी में दो पुलिसकर्मी घायल हो गए, उन्हें एक अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन उनकी मौत हो गयी। मृतक पुलिसकर्मियों की पहचान मोहम्मद सुल्तान और फयाज अहमद के रूप में की गयी है। हाल के दिनों में जिस तरह से पुलिसवालों पर हमले की घटनाएं बढ़ी हैं उस पर स्थानीय लोगों ने अपना आक्रोश जताया है। प्रभासाक्षी संवाददाता ने कैंडिल मार्च निकाल रहे लोगों से बातचीत की।उधर, जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने कहा है कि बांदीपोरा में दो पुलिस कर्मियों की हत्या के मामले में पुलिस को शुरुआती सुराग मिले हैं और वह इसमें शामिल लोगों की पहचान करने के लिए काम कर रही है। शहीद हुए दो जवानों में से एक के परिवार से मुलाकात करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में दिलबाग सिंह ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, ”शुरुआती सुराग मिले हैं और पुलिस उन पर काम कर रही है और जल्द ही इस हमले में शामिल लोगों को निष्क्रिय कर देंगे। हमें कुछ सुराग मिले हैं और पुलिस हमले के पीछे शामिल लोगों की पहचान करने के लिए कार्य कर रही है।’’ सिंह ने बताया कि इस हमले में शामिल लोगों को जल्द कानून के कठघरे में लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों को निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वे रक्षा कर रहे हैं और लोगों के कल्याण के लिए कार्य कर रहे हैं। सिंह ने कहा, ‘‘आतंकवादियों और पाकिस्तानी तत्वों को इससे दर्द हो रहा है और जब कोई स्थानीय लोगों और आतंकवादियों के बीच आता है तो वे परेशान हो जाते हैं।’’ डीजीपी ने कहा, ‘‘पुलिस आतंकवादियों से लोगों की रक्षा के लिए काम कर रही है। पुलिस और सेना, बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल), सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) के हमारे जवान संयुक्त रूप से आतंकवादियों को दूर रख रहे हैं। यही उनकी (आतंकवादियों) हताशा है जिसकी वजह से ये हत्याएं हो रही हैं। हम उनको जवाब देंगे।’’ उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर पुलिस गत 30 साल से यह लड़ाई लड़ रही है और ‘‘यह हमारी जिम्मेदारी है कि लोगों की जान और संपत्ति की रक्षा की जाए।’’