तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने वाले बिल को आज मंजूरी मिल गई है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीनों कृषि कानूनों के वापस लेने वाले बिल पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इसके साथ ही तीनों कृषि रद्द हो चुके हैं। आपको बता दें कि तीनों कृषि कानून को लेकर देश के विभिन्न किसान संगठन पिछले 1 साल से आंदोलन कर रहे हैं। आंदोलन के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था जिसके बाद तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने वाला बिल 29 नवंबर को संसद के दोनों सदनों में पास किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को गुरु पर्व के अवसर पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी। इसके साथ ही किसानों को आश्वासन दिया था कि एमएसपी को लेकर कमेटी गठित की जाएगी।कृषि कानूनों को वापस लेने का किसान संगठनों ने स्वागत किया है लेकिन उनका आंदोलन अब भी जारी है। किसान संगठनों लगातार अपने कुछ मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। इससे पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि इन विधेयकों को निरस्त करने के मुद्दे पर सरकार और विपक्षी दल सहमत थे। तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो वादा किया था वह उन्होंने संसद सत्र के पहले ही दिन पूरा किया। उन्होंने कहा कि सरकार इन कानूनों को किसानों की भलाई के लिए लेकर आई थी लेकिन इस बात का दुख है कि कई बार प्रयत्न करने के बावजूद किसानों को समझाया नहीं जा सका।इससे पहले पिछले करीब एक वर्ष से विवादों में घिरे और किसानों के आंदोलन का प्रमुख कारण बने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी इस विधेयक को बिना चर्चा के दोनों सदनों से पारित कर दिया गया। इस विधेयक को बिना चर्चा के पारित किया जाने का कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने भारी विरोध किया था। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इन कानूनों को निरस्त करने पर औपचारिक मुहर लग गई।