हिमाचल प्रदेश में अप्रैल माह में पिछले 72 घंटों में भारी बारिश और बेमौसमी बर्फ़बारी ने किसानों और बागवानों पर केहर बरपा दिया है । मौसम विज्ञानियों का कहना है कि बारिश ने पिछले 40 सालों का रिकॉर्ड और बर्फ ने 20 वर्षों का रिकॉर्ड तोड दिया है । लाहौल स्पीति, किन्नौर, शिमला सहित ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हो रही है जबकि निचले इलाकों में बारिश हो रही है।
मौसम के बदलाब से तापमान गिर गए है व ठंड फ़िर से लौट आई है। अप्रैल माह में ही जनवरी की ठंड का एहसास हो रहा है ऐसा हिमाचल प्रदेश में बरसों से रहने वाले कह रहे हैं । समन्या परिस्तिथों में बारिश व बर्फ़बारी पर्यटकों, किसान, बागवानों व पर्यटन सीजन के लिए खुशी की सौगात लेकर आती है लेकिन इस बार महामारी के दौर में बर्फ़बारी व बारिश मुसीबत बनकर आई है। शिमला ज़िले के बगीचों में बर्फ और बेमौसमी बारिश से कोटखाई ,जुब्बल ,रोहरू, शिलारू, नारकंडा , चौपाल के ईलाको सेब की फसल और पौधो को भारी नुकसान पहुंचा है। बागवानों का कहना है ओलावृष्टि से बगीचों में हजारों पैदे तवाह हो गए हैं । आंटी हैल नेट को भी भारी नुकसान पहुंचा है। फ़ल, फूल, सब्ज़ी उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने बताया कि कॅरोना के बाद मौसम की मार से किसानों बागवानों को भारी नुकसान हुआ है। सरकार इसका मुआवजा दे।
मौसम विभाग के निदेशक डॉ मनमोहन सिंह ने बताया कि हिमाचल में बर्फबारी व बारिश ने पिछले 20 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। अप्रैल माह में बारिश व बर्फ़बारी का उनके पास 20 साल का ही रिकॉर्ड है इसके मुताबिक़ ऐसी बर्फ़बारी नही हुई है। ताज़ा मौसम के बदलाव से तापमान में भी 8 से 10 डिग्री तक सामान्य से कम चल रहे है। शिमला में 1979 के बाद सबसे ज़्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई है।
बागवानी मंत्री मोहिंदर सिंह ठाकुर ने माना कि बारिश ,बर्फ़बारी और ओले गिरने से बागवानों को अधिक नुकसान पहुंचा है और उनकी कमर टूट गई है । मैंने इसके कुछ वीडियो और फोटोग्राफ केंद्रीय सरकार के उच्च अधिकारियों को भी भेज दिए । अपने तौर पर भी हम बागवानों की पूरी मदद करेंगे । बागवानी विभाग को निर्देश जारी कर दिया है और नुकसान की पूरी रिपोर्ट तलब करी है । बागवानी मंत्री ने इस बेमौसी तबाही का मूल्य कारण जलवायु परिवर्तन ही माना है क्योंकि अप्रैल माह में इस प्रकार से ना तो बारिश ना बर्फबारी का अनुमान लगाया गया था
इसी बीच कांग्रेस विधायक व पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बेमौसम बर्फबारी, ओलावृष्टि व आंधी-तूफान से सेब की फसल को हुए भारी नुकसान पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि ऊपरी शिमला सहित कुछ अन्य जिलों में भी सेब की अधिकांश फसल तबाह हो गई है। भारी बर्फबारी के बाद आंधी से सेब की फसल को बचाने के लिए लगाए गए एंटी हेल नेट तक टूट गए हैं। आंधी से सेब के काफी पेड़ जड़ से उखड़ गए हैं। सेब से लदे पेड़ों की टहनियां भी काफी संख्या में टूटी हैं। अन्य नगदी फसलों व फलों को भी काफी नुकसान पहुंचा है। सरकार प्राकृतिक आपदा से किसानों को हुए नुकसान की रिपोर्ट लेकर तुरंत भरपाई करे। जिससे सेब उत्पादकों व अन्य किसानों के जख्मों पर मरहम लग सके।