रूस और भारत में करीबी का एक समृद्ध इतिहास रहा है। पिछले 10 सालों में वैश्विक स्तर पर कई चीजें उलट-पुलट हुई हैं। रूस की पाकिस्तान के साथ नजदीकियां भी कुछ हद कर बढ़ी। लेकिन अब भारत रूस संबंधों के नए द्वार एक बार फिर खुलने की दिशा में कदम बढ़ने वाले हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 6 दिसंबर को भारत की यात्रा पर आ सकते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुतिन भारत से अहम रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। रूस से डील के बाद आर्कटिक इलाके में भारत की उपस्थिति और मजबूत हो जाएगी।
ये पहला मौका होगा 2018 के बाद कि पुतिन भारत आएंगे। कोविड महामारी के दौरान भारत की मदद की गई थी, उसी समय ये तय किया गया था कि रूस के राष्ट्रपति भारत आएंगे। इसके बाद चाहे वो एस-400, एके 203 व अन्य रक्षा सौदे के अलावा टू प्लस टू अगली कड़ी होगी। कहां ये जा रहा था कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की बैठक के बाद जब वो आएंगे उसके बाद रूस के साथ टू प्लस टू होगा। पहला मौका होगा क्वाड के बाहर के किसी देश के साथ भारत टू प्लस टू करने जाएगा।
आर्कटिक इलाके में उपस्थिति होगी मजबूत
भारत और रूस का सहयोग चाहे वो इकोनॉमिक फॉर्म में हो या रक्षा के क्षेत्र में उसे कैसे आगे बढ़ाना है उसको लेकर बातचीत हो सकती है। पुतिन की इस यात्रा के ऐलान से यह साबित हो गया है कि रूस के लिए भारत के साथ रिश्ते कितने महत्वपूर्ण हैं। इस दौरे पर रूस और भारत के बीच एक समझौता हो सकता है जिसके तहत भारतीय नौसेना को आर्कटिक इलाके में उपस्थिति दर्ज कराने का मौका मिल जाएगा। माना जाता है कि हिंद प्रशांत के बाद आर्कटिक ही दुनिया का अगला जंग का मैदान बनने जा रहा है।