पंजाब को लेकर कांग्रेस नेतृत्व की मुश्किलें कम होने की बजाय बढ़ती जा रही हैं। राज्य के नेताओं के बीच घमासान का सिलसिला जारी है। वहीं हरीश रावत ने अब सार्वजनिक तौर पर नेतृत्व से पंजाब प्रभारी का पद छोड़ने की मांग कर दी है। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि जब नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस के पद से इस्तीफा दे दिया था तो उसे मंजूर किया जाना चाहिए था। इससे हाईकमान का स्पष्ट संदेश जाता।
पंजाब राज्य के प्रभारी हरीश रावत बीते तीन महीनों से लगातार कांग्रेस नेतृत्व से खुद को इस जिम्मेदारी से मुक्त किए जाने का आग्रह कर रहे थे। बावजूद नेतृत्व ने अभी तक उन्हें लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है। अब जब फिर प्रदेश अध्यक्ष सिद्धू और मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी के बीच विवाद गहरा गया है तो रावत ने हाथ खड़े कर दिए हैं। रावत जान रहे हैं कि अगर फिर से इस विवाद को सुलझाने में जुटेंगे तो उन्हें अपने राज्य उत्तराखंड में नुकसान उठाना पड़ेगा। उत्तराखंड में सक्रियता कम होगी और मुख्यमंत्री की उम्मीदवारी का उनका दावा कमजोर होगा।
मैंने निश्चय किया है कि अगले कुछ महीने उत्तराखंड को पूर्ण रूप से समर्पित रहूंगा। मैं आज बड़ी उहापोह से उबर पाया हूं। एक तरफ जन्मभूमि के लिए मेरा कर्तव्य है और दूसरी तरफ कर्मभूमि पंजाब के लिए मेरी सेवाएं हैं। पार्टी नेतृत्व से अपील है कि पंजाब के वर्तमान दायित्य से मुझे मुक्त किया जाए। हरीश रावत, पंजाब कांग्रेस प्रभारी