सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर आज भी सुनवाई की। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार लोगों के प्रति जवाबदेह है और उसे वक्फ मुद्दे के बारे में कई ज्ञापन मिले हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पूरे गांव और बड़ी मात्रा में जमीन को वक्फ घोषित कर दिया गया है, जिससे यह एक महत्वपूर्ण विधायी मामला बन गया है। मेहता ने तर्क दिया कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम पर रोक लगाना एक कठोर कदम होगा और अदालत से अनुरोध किया कि वह सहायक दस्तावेजों के साथ प्रारंभिक प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दे, जिसमें कहा गया कि मामले पर विस्तृत विचार की आवश्यकता है।इसे भी पढ़ें: न्यायालय ने सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए त्वरित प्रतिक्रिया प्रोटोकॉल बनाने का निर्देश दियाकेंद्र के जवाब का प्रत्युत्तर पांच दिनों के भीतर दाखिल किया जाएगा और सुनवाई मई में शुरू होने वाली है। सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई 5 मई को दोपहर 2 बजे तय की है। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पर रोक नहीं लगाई है, लेकिन केंद्र के इस आश्वासन को रिकॉर्ड में दर्ज कर लिया है कि संशोधित अधिनियम के तहत फिलहाल केंद्रीय वक्फ परिषद या वक्फ बोर्ड में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी। सरकार ने यह भी आश्वासन दिया है कि मूल 1995 अधिनियम के तहत पहले से ही वक्फ घोषित संपत्तियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी। सीजेआई ने कहा कि वक्फ अधिनियम 1995 और इसके 2013 संशोधनों को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं को इस बैच से अलग सूचीबद्ध किया जाएगा। 2025 के मामले के संबंध में रिट दायर करने वाले याचिकाकर्ता विशेष मामले के रूप में अपनी प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए स्वतंत्र हैं। सीजेआई ने कहा कि पक्षों के बीच इस बात पर आम सहमति है कि किन याचिकाओं को मुख्य मामलों के रूप में माना जाएगा। अन्य याचिकाओं को उन मुख्य मामलों के अंतर्गत आवेदनों के रूप में माना जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाएँ आज भी दायर की जा रही हैं।