विदेश मंत्रालय (एमईए) ने शुक्रवार को उन मीडिया रिपोर्टों पर स्पष्टीकरण दिया, जिनमें दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगस्त के अंत तक यूक्रेन का दौरा कर सकते हैं। जुलाई में पीएम मोदी की रूस यात्रा के बाद कई पश्चिमी देशों ने आपत्ति जताई थी।यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी का पुतिन से गले मिलना न केवल एक बड़ी निराशा थी, बल्कि “शांति प्रयासों के लिए एक विनाशकारी झटका” भी था।
अगर प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन जाते हैं तो यह यात्रा किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यूक्रेन यात्रा होगी। इसे व्यापक रूप से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध में संतुलन बनाने के प्रयास के रूप में देखा जाएगा। मीडिया रिपोर्टों पर टिप्पणी करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को कहा, “हम जल्द ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और आपको इसके (प्रधानमंत्री की यूक्रेन यात्रा) बारे में अधिक जानकारी देंगे।”
आधिकारिक सूत्रों का हवाला देते हुए मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि प्रधानमंत्री पोलैंड के रास्ते यूक्रेन की राजधानी कीव जा सकते हैं। चीन के अलावा, भारत एकमात्र ऐसा प्रमुख देश है जिसने यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता की स्पष्ट रूप से निंदा नहीं की है। हालांकि युद्ध पर भारत की स्थिति को कई पश्चिमी देशों ने रूस समर्थक के तौर पर देखा है, लेकिन भारत ने फरवरी 2022 में आक्रमण की शुरुआत से ही यह सुनिश्चित किया है कि वह संघर्ष को हल करने में बातचीत और कूटनीति के महत्व पर जोर दे। इसके लिए पीएम मोदी समय-समय पर रूस-यूक्रेन के राष्ट्रपतियों से फोन पर बात करते रहे हैं।
पीएम मोदी के संभावित यूक्रेन दौरे की चर्चा ऐसे समय में हो रही है जब रूस के साथ उसका युद्ध फिर से चरम पर पहुंच गया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने बृहस्पतिवार को कहा कि यूक्रेनी सैनिकों ने रूसी क्षेत्र में घुसपैठ करते हुए कुर्स्क क्षेत्र में रूस के सुदजा शहर पर पूर्ण नियंत्रण कर लिया है। यह शहर, यूक्रेन द्वारा अब तक कब्जा किए गए सबसे बड़े शहर में से एक है, जहां युद्ध से पहले जनसंख्या लगभग 5,000 थी। जेलेंस्की ने कहा कि सुदजा में यूक्रेनी सैन्य कमांडर का कार्यालय स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने कार्यालय के कामकाज के बारे में विस्तार से नहीं बताया। इन दावों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की जा सकी है।