लोकसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी को उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा झटका लगा है। पार्टी ने पिछले आम चुनाव के मुकाबले 29 सीटें गंवा दी हैं। पिछली बार अकेले भाजपा को 62 सीटें आई थीं, जबकि इस बार 33 सीटों से संतोष करना पड़ा।सबसे बड़ा फायदा समाजवादी पार्टी को हुआ, जिसे 37 सीटें मिलीं, जबकि गठबंधन की सहयोगी पार्टी कांग्रेस ने छह सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं, मायावती की बसपा का खाता तक नहीं खुला, लेकिन अकेले चुनावी मैदान में उतरकर मायावती ने कुछ सीटों पर बीजेपी तो कुछ पर सपा और कांग्रेस गठबंधन को नुकसान पहुंचा दिया। वहीं, यदि बसपा इंडिया गठबंधन का हिस्सा बनकर चुनाव लड़ती तो इंडिया अलायंस को बड़ा फायदा हो सकता था।जिन सीटों पर बसपा के उम्मीदवार को विनिंग मार्जिन से ज्यादा वोट मिले, उनमें उन्नाव, अमरोहा, अलीगढ़ आदि जैसी सीटें शामिल हैं। जैसे यूपी की अकबरपुर सीट पर बीजेपी के देवेंद्र सिंह उर्फ भोले सिंह को जीत मिली है। दूसरे नंबर पर सपा के राजाराम पाल रहे। राजाराम पाल 44345 वोटों से हार गए, जबकि तीसरे नंबर पर बसपा के उम्मीदवार राजेश कुमार द्विवेदी रहे, जिन्हें 73140 वोट मिले। इस सीट पर मायावती ने ब्राह्मण चेहरा उतारकर बीजेपी का वोट काटा, उसी तरह अमरोहा में मुस्लिम कैंडिडेट देकर इंडिया अलायंस के उम्मीदवार को झटका दे दिया। इसी तरह अलीगढ़ में भी बीजेपी ने जीत दर्ज की और जीत का मार्जिन लगभग 15 हजार वोट ही रहे, जबकि बसपा के कैंडिडेट तीसरे नंबर पर आए और सवा लाख वोट मिले।अमरोहा की सीट पर कंवर सिंह तंवर ने बीजेपी के टिकट से लड़ते हुए 28 हजार वोटों से जीत दर्ज की, जबकि दूसरे नंबर पर 447836 वोटों के साथ दानिश अली रहे। बसपा के उम्मीदवार मुजाहिद हुसैन को 164099 वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर आए। बांसगांव सीट की बात करें तो यहां कांग्रेस के उम्मीदवार सदल प्रसाद महज 3150 वोटों से बीजेपी के कैंडिडेट से हार गए, जबकि बसपा उम्मीदवार को 64 हजार से ज्यादा वोट मिले। भदोही सीट भी तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार ललितेश त्रिपाठी 41 हजार से ज्यादा वोटों से हार गए। उन्हें सपा का समर्थन हासिल था। इस सीट पर तीसरे नंबर पर बसपा के उम्मीदवार हरिशंकर रहे, जिन्हें 155053 वोट मिले।यूपी की मुजफ्फरनगर सीट पर केंद्रीय मंत्री संजीव कुमार बालयान चुनाव हार गए। सपा से हरेंद्र सिंह मलिक ने 24 हजार से ज्यादा वोटों के मार्जिन से यह सीट जीती। तीसरे नंबर पर बसपा के दारा सिंह प्रजापति रहे, जिन्हें 143707 वोट मिले। इसी तरह यूपी की बांदा सीट पर भी बसपा ने ब्राह्मण चेहरा उतारकर बीजेपी का खेल खराब कर दिया और सपा उम्मीदवार जीत गईं। बीजेपी के आरके सिंह पटेल 71210 वोटों से चुनाव हार गए, जबकि तीसरे नंबर पर आए बसपा उम्मीदवार मयंक द्विवेदी को 245745 वोट मिले।वहीं, अन्य सीटों में देवरिया, फर्रुखाबाद, फतेहपुर सीकरी, मिश्रिख, फूलपुर, हरदोई, मेरठ, मिर्जापुर जैसी सीटें रहीं, जहां पर बीजेपी और इंडिया अलांयस के कैंडिडेट के बीच में हार-जीत के अंतर से ज्यादा वोट तीसरे नंबर पर रहे बसपा उम्मीदवार को पड़े। बिजनौर सीट पर भी बीजेपी 37508 वोटों से जीती, जबकि तीसरे नंबर पर ही बसपा को 2,18,986 वोट मिले। वहीं, शाहजहांपुर और उन्नाव जैसी लोकसभा सीटों पर भी बसपा के कैंडिडेट को हार-जीत के मार्जिन से ज्यादा वोट मिले हैं।
सपा-कांग्रेस गठबंधन की ओर शिफ्ट हुआ मायावती का वोट बैंक
इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी को झटका लगने के पीछे एक बड़ी वजह बसपा का वोट शेयर बड़ी संख्या में सपा और कांग्रेस अलायंस में शिफ्ट होना बताया जा रहा है। मायावती की पार्टी का वोट शेयर पिछले दस सालों में लगातार कम हो रहा है। 2014 के चुनावों में बसपा को यूपी में 19.77 फीसदी वोट मिले थे, जबकि 2019 में यह 19.42 फीसदी रहा था। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में मायावती का वोट शेयर घटकर महज 9.39 फीसदी रह गया। हालांकि, इसमें एक अहम बात यह भी है कि 2024 का लोकसभा चुनाव बसपा ने अकेले लड़ा था, जबकि 2019 में वह सपा के साथ गठबंधन में थी और उसका फायदा उसे वोट शेयर को 2014 के मुकाबले बचाए रखने और सीटों को बढ़ाने में मिला था। इस बार बसपा से ज्यादा वोट कांग्रेस को मिला है और वह यूपी की बीजेपी, सपा के बाद तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। इससे साफ है कि बसपा का वोट शेयर कांग्रेस और सपा में शिफ्ट हो गया।