भारत एक तरफ चीन को पीछे छोड़कर दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है तो वहीं कई मुल्क ऐसे हैं, जो घटती आबादी से परेशान हैं। इटली, दक्षिण कोरिया, रूस जैसे देशों में तेजी से आबादी घट रही है और इसके चलते वर्कफोर्स का संकट भी खड़ा हो गया है और अर्थव्यवस्था पर भी सीधा असर पड़ रहा है।यही नहीं भारत के गहरे दोस्त जापान के आगे भी ऐसी ही संकट की स्थिति है। जापान की आबादी 2008 से घटनी शुरू हुई थी। तब वहां की आबादी 128 मिलियन यानी 12.8 करोड़ थी, जबकि 2022 में यह तेजी से घटते हुए 125 मिलियन यानी 12.5 करोड़ ही रह गई।
अनुमान है यदि आबादी घटने की यही रफ्तार रही तो 2100 तक जापान की जनसंख्या 63 मिलियन ही रह जाएगी। इसका अर्थ है कि फिलहाल जापान की आबादी साढ़े 12 करोड़ है और अगले 75 सालों में यह 6.3 करोड़ ही रह जाएगी। इसकी वजह यह है कि जापान की जन्मदर तेजी से घट रही है। इसके अलावा एक और संकट जापान के आगे मुंह बाये खड़ा है। एक तरफ जापान में नए बच्चों के जन्म में कमी आ रही है तो वहीं दूसरी तरफ बुजुर्गों की संख्या भी बढ़ रही है। जापान की कुल आबादी में बुजुर्गों की संख्या वर्ष 2000 में 17.4 पर्सेंट थी, जो अब 2022 में बढ़कर 29 फीसदी हो गई।
अब एक और डराने वाला अनुमान यह है कि जापान की कुल आबादी में बुजुर्गों की हिस्सेदारी 2100 तक 41.2 पर्सेंट हो जाएगी। इसका अर्थ है कि करीब आधे लोग जापान में बुजुर्ग ही होंगे। जापान में 2022 के आंकड़ों के अनुसार 15 से 64 साल यानी कामकाजी आबादी की 59 पर्सेंट ही रह गई, जो 20 साल पहले 68 पर्सेंट थी। अनुमान है कि 2100 तक यह आंकड़ा तेजी से कम होते हुए 51.2 तक ही ठहर जाएगा। जापान की इस घटती आबादी के कई कारण हैं। पहला यह कि बच्चों को पैदा करने और उनकी परवरिश में लोग बड़ा खर्च कर रहे हैं। ऐसे में महत्वाकांक्षी पैरेंटिंग के चलते लोग ज्यादा बच्चे नहीं पैदा कर रहे हैं।एक वजह यह भी है कि जापानी कपल अब 30 साल की उम्र के बाद शादी करने को तवज्जो दे रहे हैं। इसकी वजह से बढ़ी उम्र में एक से अधिक बच्चे कम ही पैदा हो पा रहे हैं। लाइफस्टाइल में बदलाव भी इसकी एक वजह है। महिलाएं भी अब अपने करियर पर फोकस्ड हैं और कई बार इसके चलते शादी और बच्चों में देरी हो जाती है। जापान की आबादी में बढ़ती बुजुर्गों की संख्या ने जीडीपी पर भी असर डालना शुरू कर दिया है। श्रम योग्य आबादी घट रही है और उसका सीधा असर अब अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। फिलहाल महिलाओं के भी वर्कफोर्स में शामिल होने से यह संकट कम दिख रहा है, लेकिन बड़ी आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है, यह संकट आने वाले सालों में और अधिक दिखेगा।