यूपी में योगी कैबिनेट के विस्तार का दिन और समय लगभग फाइनल हो गया है। मंगलवार पांच मार्च को शाम पांच बजे मंत्रिमंडल के विस्तार की तैयारी हो रही है। इस बार पांच मंत्रियों को योगी कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है।
इसमें दो कैबिनेट, दो राज्यमंत्री और एक स्वतंत्र प्रभार का मंत्री हो सकता है। योगी 2.0 सरकार का यह तीसरा कैबिनेट विस्तार होगा। दूसरे विस्तार के बाद योगी के मंत्रिमंडल में 52 मंत्री हैं। फिलहाल मंत्रिमंडल में आठ मंत्रियों की जगह खाली है। इससे पहले शुक्रवार को सीएम योगी ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से राजभवन जाकर मुलाकात की थी।
सूत्रों के अनुसार योगी के तीसरे विस्तार में जिन विधायकों का नाम लगभग फाइनल है उसमें सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर और दारा सिंह चौहान के अलावा सपा नेता आजम खान को जेल पहुंचाने वाले रामपुर के विधायक आकाश सक्सेना का नाम शामिल है। जयंत की पार्टी रालोद से दो मंत्री बनाए जा रहे हैं। रालोद के राजपाल बालियान और अशरफ अली को मंत्री बनाया जाएगा।
मंत्रिमंडल विस्तार की सूचना सहयोगी दलों के उन विधायकों को है जिन्हें शपथ लेनी है। ये विधायक लखनऊ में जमे हुए हैं। दूसरी तरफ सोमवार को सचिवालय प्रशासन विभाग ने नए मंत्रियों के लिए विधानभवन में कक्ष तैयार कराने शुरू कर दिए हैं। विभागीय कर्मचारी दिनभर इस काम में जुटे हुए थे। बताया जाता है कि मंगलवार को सुबह ही शपथ लेने वाले मंत्रियों को समय की जानकारी सरकार की तरफ से दी जाएगी।
भाजपा का मानना है कि ओपी राजभर और दारा सिंह चौहान के मंत्री बनने से न सिर्फ पूर्वांचल में लोकसभा चुनाव में राहत मिलेगी बल्कि गैर यादव ओबीसी को प्रभावित किया जा सकेगा। पूर्वांचल में यादवों के बाद पटेल, राजभर और चौहान की ही सबसे बड़ी संख्या है। अनुप्रिया पटेल पहले से एनडीए के साथ हैं और उनके पति आशीष पटेल योगी कैबिनेट में मंत्री भी हैं। लोकसभा के लिए भी अनुप्रिया पटेल को पूर्वांचल की दो सीटें मिर्जापुर और रार्बट्सगंज दी गई है।
ओपी राजभर
ओपी राजभर के एनडीए में आने से पूर्वांचल की दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर बीजेपी को लाभ हो सकता है। विधानसभा चुनाव के दौरान सुभासपा और सपा का गठबंधन था। इसका नुकसान पूर्वांचल की कई सीटों पर भाजपा को हुआ था। मऊ, आजमगढ़ और गाजीपुर की सभी सीटें भाजपा हार गई थी। ऐसे में राजभर के आने से लोकसभा चुनाव से लोकसभा की दो दर्जन सीटों पर समीकरण ठीक करने में मदद मिलेगी। राजभर ने कांशीराम की बसपा के साथ राजनीति की शुरुआत की थी।
मायावती से खटपट के बाद बसपा छोड़कर सुभासपा बनाई थी। वैसे तो तीन दशक से ज्यादा समय से चुनावी राजनीति में हैं लेकिन पहली सफलता 2017 में भाजपा से गठबंधन के बाद हुआ था। उनके चार विधायक जीते और योगी की पहली सरकार में ओपी राजभर मंत्री भी बने थे। कुछ समय बाद योगी से खटपट के कारण उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया था।
दारा सिंह चौहान
इसी तरह दारा सिंह चौहान भी योगी की पहली सरकार में मंत्री थे। राजभर की तरह दारा सिंह चौहान ने भी अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बसपा से की थी। लोगों के बीच पकड़ के कारण वह पार्टी का एक महत्वपूर्ण चेहरा बन गए। 2015 में दारा सिंह बीजेपी में शामिल हो गए। विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक पहले बीजेपी का साथ छोड़कर सपा में शामिल हो गए थे।
घोसी से सपा के टिकट पर विधायक भी बने लेकिन वहां रह नहीं सके। सपा और विधायक दोनों सीटों से इस्तीफा देकर दोबारा भाजपा में आ गए। भाजपा ने घोसी से ही उपचुनाव में उतारा लेकिन हार गए। कुछ दिनों पहले ही उन्हें एमएलसी बनाया गया। दारा सिंह चौहान को साथ लाने के पीछे लोनिया समाज को साधने की बीजेपी की रणनीति का हिस्सा है। दारा सिंह चौहान को कैबिनेट मंत्री बनाया जाएगा।
आकाश सक्सेना
रामपुर में सपा नेता आजम खान के खिलाफ झंडा बुलंद करने वाले आकाश सक्सेना इस समय पश्चिमी यूपी में भाजपा का बड़ा चेहरा बन गए हैं। रामपुर की सियासत सपा नेता आजम खान के आस-पास ही चलती थी। उनके खिलाफ लंबी लड़ाई के बाद जेल तक पहुंचाने वाले आकाश सक्सेना इस समय रामपुर से विधायक हैं।
जनवरी 2018 में आजम के बेटे के फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट मामले से शुरू हुई यह लड़ाई अब आजम की विधायकी गंवाने तक पहुंच चुकी है। पेशे से व्यवसायी आकाश ने हेट स्पीच मामले में भी आजम के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। आकाश सक्सेना वैसे तो कल्याण से राजनाथ और राम प्रकाश गुप्ता सरकार में मंत्री रहे। उनके पिता शिव बहादुर सक्सेना भाजपा से 4 बार विधायक रहे हैं। वह आजम के खिलाफ 43 मामलों में सीधे पक्षकार हैं।
राजपाल बालियान
रालोद नेता राजपाल बालियान का जाट वोटर्स में अच्छा वर्चस्व है। बालियान 2022 में बीजेपी के मलिक को हराकर विधायक बने थे। वह मुजफ्फरनगर के गांव गढ़ी नौआबाद के रहने वाले हैं। मौजूदा वक्त में बढ़ाना सीट से रालोद के विधायक हैं। राजपाल बालियान 1996 में भारतीय किसान कामगार पार्टी से खतौली विधानसभा चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने।
खतौली विधानसभा से 2002 के चुनाव में बालियान ने सपा के प्रमोद त्यागी को लगभग 28 हजार वोटों से हराया था। 2012 के विधानसभा चुनाव में राजपाल बालियान को सपा के नवाजिश आलम से हार का सामना करना पड़ा। 2022 विधानसभा चुनाव में राजपाल बालियान ने बीजेपी के उमेश मलिक को शिकस्त दी थी। जाट वोट में उनका वर्चस्व माना जाता है।
अशरफ अली
अशरफ अली पश्चिम की राजनीति में मुस्लिम और जाट वोटर्स के गठजोड़ वाले नेता माने जाते हैं। थानाभवन से अशरफ अली रालोद के विधायक हैं। हाल में राज्यसभा चुनाव के दौरान वह क्रॉस वोटिंग में शामिल होने वाले विधायकों में भी शामिल थे। 28 मार्च 2022 को रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने अशरफ अली को विधानमंडल दल का उप सचेतक चुना था। पश्चिम की राजनीति में अशरफ अली का दबदबा माना जाता है। वह किसानों के साथ अल्पसंख्यक वोटर्स के बीच भी चर्चित चेहरा है। पश्चिम में बीजेपी की मंशा किसानों के साथ मुस्लिम वोटों की तरफ भी है।