पश्चिम बंगाल में आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और टीएमसी के बीच सीटों का बंटवारा पार्टी के नेताओं के बीच कलह की स्थिति पैदा कर रहा है। हाल ही में वकील और पश्चिम बंगाल कांग्रेस के कद्दावर नेता कौस्तव बागची ने टीएमसी के साथ गठबंधन का विरोध करते हुए बुधवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया।बागची ने संदेशखाली का जिक्र करते हुए कांग्रेस के नेतृत्व पर भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि संदेशखाली में जहां स्थानीय टीएमसी नेताओं पर खेत की जमीन हड़पने और गांव की महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया है। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चुप्पी साधे हुए हैं।बागची ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को संबोधित करते हुए अपना त्यागपत्र में दिया। अपने पत्र में बागची ने कहा, “हाल के राजनीतिक निर्णयों के कारण, ऐसा लगता है कि पार्टी ने आत्म-विनाशकारी मोड में प्रवेश कर गई है। जब चुनाव नजदीक आ रहे हैं, तो कांग्रेस पार्टी का ध्यान चुनाव जीतने पर नहीं, बल्कि एक विशेष व्यक्ति की छवि ब्रांडिंग पर है।” बागची ने यह पत्र राज्य कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी और बंगाल के प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव गुलाम अहमद मीर को भी भेजा। दोपहर दो बजे तक चौधरी ने बागची पर कोई बयान नहीं दिया।
कांग्रेस से नाराज चल रहे थे बागची
बागची पिछले साल से ही टीएमसी के साथ गठबंधन का विरोध कर रहे थे। सितंबर में बागची ने कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल को एक ई-मेल लिखा था, जिसमें उन्होंने कहा कि कांग्रेस को बंगाल में अकेले चुनाव लड़ना चाहिए क्योंकि उसके कार्यकर्ता उस पार्टी के साथ गठबंधन कभी स्वीकार नहीं करेंगे जिसके खिलाफ वे लड़ रहे हैं।
टीएमसी के विरोध में मुंडवाया था सिर
रिपोर्ट्स की मानें तो पिछले साल मार्च में जमानत पर रिहा होने के बाद कौस्तव बागची ने टीएमसी के विरोध में अपना सिर मुंडवा लिया था। कथित तौर पर उन्होंने कसम खाई थी कि जब तक राज्य में ममता बनर्जी की सरकार रहेगी वह अपने सिर पर बाल नहीं उगने देंगे। हालांकि, ऐसी भी अटकलें है कि कौस्तव बागची लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो सकते हैं।