सरकार की ओर से 5 नई फसलों पर MSP की गारंटी के प्रस्ताव को खारिज करने के बाद किसान अब दिल्ली कूच की तैयारियों में फिर से जुट गए हैं। फिलहाल हरियाणा और पंजाब को जोड़ने वाले शंभू बॉर्डर पर शांति है, लेकिन कल यहां बड़ी हलचल मच सकती है।
किसान मिट्टी से भरे कट्टे ट्रैक्टरों में लोड कर रहे हैं। पोकलेन और जेसीबी मशीनें भी लाई जा रही हैं। इस से अंदाजा लगाया जा रहा है कि किसान घग्गर नदी पार करके जाना चाहेंगे। पोकलेन मशीन की मदद से प्रशासन द्वारा बॉर्डर पर लगाई गई सीमेंट की दीवारों को किसान हटाएंगे। इसके चलते दिल्ली तक अलर्ट की स्थिति है।
किसानों की तैयारियों को देखते हुए बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। दिल्ली-अंबाला नेशनल हाईवे 44 पर मारकंडा नदी पुल के पास भी सुरक्षा के बंदोबस्त और बढ़ा दिए गए हैं। वहीं, अंबाला में शंभू बॉर्डर पर तैनात एएसआई कौशल कुमार की मौत हो गई। वह यमुनानगर के गांव का रहने वाला था। किसान बॉर्डर पर और भी जूट की बोरियां ले आए हैं। एक ट्रॉली भरकर काफी बोरियां लाई गईं। पानी की बौछार करने के लिए ट्रैक्टरों के पीछे खेतों में स्प्रे का छिड़काव करने वाली टंकियां भी हैं। इन बोरियों को गीला करके आंसू गैस के गोलों पर डालकर उनको शांत किया जाता है।
किसानों ने राजमार्ग पर लगी लाइटों के कनेक्शनों को खोलकर उनसे अपने बिजली के तार जोड़ दिए हैं। इससे उनके बिजली के उपकरण चल रहे हैं। किसान ट्रैक्टर से भी बिजली बना रहे हैं। उधर हरियाणा पुलिस ने खनौरी बार्डर के साथ लगते खेतों में भी कटीली तारें बिछा दी हैं ताकि यहां से कोई भी व्यक्ति बॉर्डर की तरफ न बढ़ सके। खनौरी बॉर्डर व किसानों की तरफ सफेद झंडे लहरा रहे हैं। खनौरी बॉर्डर से करीब तीस मीटर की दूरी पर तार लगाकर रोक लगाई गई है।
गौरतलब है कि किसान आंदोलन के मामले में आज पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में भी सुनवाई हुई। इस दौरान उच्च न्यायालय ने किसान आंदोलनकारियों को नसीहत देते हुए कहा कि वे हाईवे पर ट्रैक्टर और ट्रॉलियां लेकर न जाएं। इसके लिए अदालत ने उन्हें मोटर वीकल ऐक्ट के नियम याद दिलाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि अधिकार की बात तो हर कोई करता है, लेकिन संवैधानिक कर्तव्यों का भी पालन करना चाहिए।