देशभर की अदालतों में पांच करोड़ से ज्यादा मामले पेंडिंग हैं। केंद्र की मोदी सरकार ने ये जानकारी दी। एक लिखित उत्तर में, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा को बताया कि देश की विभिन्न अदालतों में पांच करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं, जिनमें उच्चतम न्यायालय में 80,000 मामले शामिल हैं।
कानून मंत्री ने कहा कि 1 दिसंबर तक, 5,08,85,856 लंबित मामलों में से 61 लाख से अधिक 25 उच्च न्यायालयों के स्तर पर हैं।
मंत्री ने कहा कि जिला और अधीनस्थ अदालतों में 4.46 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं। मंत्री ने यह भी बताया कि भारतीय न्यायपालिका में न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या 26,568 है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 34 है, वहीं उच्च न्यायालयों में यह आंकड़ा 1,114 न्यायाधीशों का है। जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 25,420 है।
उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम ने अब तक 201 न्यायाधीशों की रिक्तियां भरने की अनुशंसा नहीं की: सरकार
इसके अलावा, सरकार ने बताया कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए उच्च न्यायालय कॉलेजियम द्वारा भेजे गए 123 प्रस्तावों में से 81 सरकार के स्तर पर प्रक्रिया के विभिन्न चरण में हैं। विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने शुक्रवार को लोकसभा को यह सूचित किया। मेघवाल ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह भी बताया कि शेष 42 प्रस्ताव उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम के विचाराधीन हैं। उन्होंने यह भी कहा कि शेष 201 रिक्तियों के संबंध में उच्च न्यायालय के कॉलेजियम से सिफारिशें अभी नहीं मिली हैं।
मेघवाल ने कहा, ‘‘12 दिसंबर तक 123 प्रस्ताव प्रक्रिया के अलग अलग चरणों में हैं। इन 123 प्रस्तावों में से 81 प्रस्ताव सरकार के स्तर पर प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं। 42 प्रस्ताव उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम के पास विचाराधीन हैं।’’ विधि मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, एक दिसंबर को 25 उच्च न्यायालयों के लिए 1,114 न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या में से 324 रिक्तियां थीं।