मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में भाजपा की हैरान करने वाली जीत ने विपक्ष के INDIA गठबंधन में भी दरार पैदा कर दी है। गठबंधन की 6 दिसंबर को कांग्रेस के नेतृत्व में मीटिंग बुलाई गई है।
लेकिन बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने इसमें आने से इनकार कर दिया है। ममता का कहना है कि यह हार जनता की नहीं बल्कि कांग्रेस की है। बनर्जी ने कहा कि कांग्रेस की रणनीति सही नहीं थी। उसने सीट शेयरिंग को लेकर बात नहीं की और उसी का नतीजा हुआ कि करारी हार मिली। टीएमसी का कहना है कि उसे मीटिंग के बारे में कोई जानकारी ही नहीं मिली है। इसके बाद कयास लग रहे हैं कि शायद ममता बनर्जी मीटिंग में ही न जाएं।
ममता बनर्जी पहले भी इस गठबंधन को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं रही हैं। वह पहले भी कहती रही हैं कि कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों को अहमियत देना चाहिए और जहां उनकी ताकत अधिक है, उन्हें ही ज्यादा सीटें मिलें। ऐसी ही राय अखिलेश यादव भी रखते रहे हैं। अब इन नतीजों ने अखिलेश यादव, ममता बनर्जी और नीतीश कुमार की नाराजगी को और बढ़ा दिया है। जेडीयू ने तो साफ कहा कि 2024 के लिए भरोसेमंद नेता की जरूरत है। माना जा रहा है कि जेडीयू ने यह बात राहुल गांधी के लिए कही है।
जेडीयू के नेता विजय चौधरी ने कहा कि गठबंधन को विश्वसनीय चेहरे की जरूरत है। सभी पार्टियों के एक स्पष्ट फैसला था कि हम मिलकर चुनाव लड़ें और भाजपा को सत्ता से बेदखल करें। इसके बाद हम बात करें कि कौन अगला उम्मीदवार होगा और किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा। यह स्वाभाविक है कि कोई विश्वसनीय चेहरा आगे बढ़ाया जाए तो सहूलियत होती है। फिर भी यह ऑप्शन तो है ही कि हम पहले भाजपा को हटाएं और फिर तय करें। लेकिन सबसे बड़ी बात है कि क्षेत्रीय दलों को उचित स्थान मिले।
जेडीयू की मांग- नीतीश को लाओ तो मदद मिले
विजय चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार को आगे किया जाए तो मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के अथक प्रयास और पहल के आधार पर ही यह गठबंधन बना था। यह सभी लोग जानते हैं और देश भी जानता है। यह सभी का स्पष्ट फैसला था कि हम मिलकर आएं।