राजस्थान के विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा अपने उम्मीदवारों के चयन से लेकर चुनावी रणनीति में ज्यादा प्रयोग नहीं करेगी। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को बिना चेहरा घोषित किए भी उनकी राय को अहमियत दी जाएगी और प्रचार अभियान में भी वह राज्य की पहली नंबर की नेता रहेंगी।
मौजूदा विधायकों में भी लगभग 25 फीसद के ही टिकट काटे जाने की संभावना है।
पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा की सबसे मजबूत स्थिति राजस्थान में है। भाजपा को यहां पर सत्ता विरोधी माहौल के साथ राज्य में अमूमन हर पांच साल में होने वाले बदलाव के माहौल का लाभ मिल सकता है। ऐसे में वह बहुत ज्यादा प्रयोग नहीं करना चाहती है। बीते विधानसभा चुनाव में 200 सदस्यीय विधानसभा में उसके 71 विधायक जीते थे। ऐसे में बहुत ज्यादा टिकट काटे जाने की संभावना नहीं है। सूत्रों के अनुसार पार्टी जिताऊ फार्मूले पर काम करते हुए अधिकतम 25 फीसद टिकट ही काटेगी।
हालांकि पार्टी ने अन्य राज्यों की तरह से यहां पर भी बिना किसी चेहरे के चुनाव में जा रही है। इससे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का समर्थक खेमा नाराज जरूर है। सूत्रों के अनुसार भाजपा नेतृत्व इस मुद्दे को ज्यादा हवा नहीं दे रहा है। उसने साफ संकेत दिए हैं कि वसुंधरा राजे की अहमियत बरकरार रहेगी। टिकट वितरण में उनकी राय अहम होगी और मेरिट के आधार पर ही उम्मीदवारों का चयन होगा। इसके अलावा प्रचार अभियान में भी वसुंधरा राजे सबसे उपर रहेंगी।
गौरतलब है कि भाजपा ने अभी राजस्थान के लिए उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। हालांकि केंद्रीय चुनाव समिति की पिछली बैठक में राज्य के उम्मीदवारों को लेकर चर्चा हुई थी। सूत्रों के अनुसार पार्टी ने लगभग पचास नामों की सूची तैयार की हुई है। इनमें कुछ सांसदों व केंद्रीय मंत्रियों के भी नाम हैं। ज्यादातर सीटें हारी हुई हैं और पार्टी अन्य राज्यों की तरह यहां पर भी बड़े नेताओं को उतार कर हारी हुई सीटों को जीतने का दांव खेल रही है। सूत्रों के अनुसार लगभग एक दर्जन सीटें ऐसी हैं जिन पर पेंच है। राज्य के नेताओं की राय व केंद्रीय नेतृत्व की रिपोर्ट को लेकर मतभेद है।