आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सरकारी आवास पर दावेदारी को लेकर उन्हें झटका लगा है। दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को कहा कि आप सांसद राघव चड्ढा यह दावा नहीं कर सकते कि उन्हें अपने कार्यकाल के दौरान सरकारी आवास पर बने रहने का पूर्ण अधिकार है।
आप सांसद का दिल्ली के पंडारा रोड पर टाइप-VII बंगले का आवंटन मार्च में राज्यसभा सचिवालय द्वारा रद्द कर दिया गया था। इसके बाद, राघव चड्ढा ने राज्यसभा सचिवालय के खिलाफ दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अप्रैल में बेदखली के खिलाफ स्टे हासिल किया। अब पटियाला हाउस कोर्ट ने साफ कर दिया है कि राघव चड्ढा सरकारी आवास पर अपनी दावेदारी नहीं कर सकते।
राघव चड्ढा ने राज्यसभा सचिवालय के खिलाफ दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तब कोर्ट ने इस मामले पर स्टे लगा दिया था। इसके बाद राज्यसभा सचिवालय ने चड्ढा की याचिका का विरोध करते हुए एक आवेदन दायर किया और तर्क दिया कि अदालत सचिवालय को सुने बिना आदेश पारित नहीं कर सकती थी। शुक्रवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने अपने उस आदेश वापस ले लिया, जिसमें कोर्ट ने राज्यसभा सचिवालय को आदेश दिया था कि आप सांसद को उनके सरकारी आवास से बेदखल नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने कहा कि बंगले का आवंटन रद्द होने और विशेषाधिकार वापस लेने के बाद राघव चड्ढा के पास सरकारी बंगला रखने का अधिकार नहीं है. पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सुधांशु कौशिक ने 18 अप्रैल को जारी उस अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया। इस आदेश में पहले राज्यसभा सचिवालय को निर्देश दिया गया था कि उचित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किए बिना चड्ढा को सरकारी बंगले से बेदखल न किया जाए।
बता दें पटियाला हाउस कोर्ट का यह निर्णय राज्य सभा सचिवालय द्वारा दायर एक समीक्षा आवेदन की प्रतिक्रिया के रूप में आया है, जिसका उद्देश्य अंतरिम आदेश को हटाना था। सचिवालय ने दलील दी कि अदालत ने सिविल प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 80(2) में जिक्र प्रक्रिया का पालन किए बिना चड्ढा को अंतरिम राहत प्रदान की थी। अंतरिम आदेश को रद्द करते हुए, अदालत ने चड्ढा के इस दावे को खारिज कर दिया कि किसी सांसद को आवंटित सरकारी आवास को सांसद के पूरे कार्यकाल के दौरान किसी भी परिस्थिति में रद्द नहीं किया जा सकता है।