पितृ पक्ष का हिन्दू धर्म में बड़ा धार्मिक महत्व है। यह 16 दिन की अवधि पूरी तरह से पितरों और पितरों की पूजा के लिए समर्पित है। यह तिथियां सबसे पवित्र मानी जाती हैं माना जाता है, जब लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उन्हें पुजारी या ब्राह्मणों के माध्यम से भोजन और पानी प्रदान करते ।
पितृपक्ष को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। द्रिक पंचांग के अनुसार श्राद्ध पक्ष भाद्रपद पूर्णिमा तिथि यानी 29 सितंबर 2023 से शुरू होगाऔर 14 अक्टूबर को समाप्त होगा। धार्मिक मान्यताओं हैं के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान पितरों के निमित्त पिंडदान तर्पण और श्राद्ध कर्म करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका शुभ आशीर्वाद प्राप्त होता है। पितृपक्ष के दौरान कुछ कार्य करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। इसलिए पितृपक्ष में कुछ पशु-पक्षियों को भोजन कराने का विधान है। पितृपक्ष के दौरान भोजन के पांच अंश निकाला जाता है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
पितृपक्ष में इन जीवों के लिए निकाले जाते हैं भोजन के 5 अंश
पितृपक्ष में श्राद्ध के दौरान कुछ जीवों के लिए भोजन का अंश निकाला जाता है। बता दें कि पितरों के निमित्त निकाले जाने वाले भोजन के इस पांच अंश को पञ्चबलि कहा जाता है। भोजन का अंश निकाले बिना श्राद्ध कर्म अधूरा माना जाता है। भोजन के ये 5 अंश गाय,कुत्ता,चींटी,कौवों और देवताओं के लिए निकाला जाता है।
क्या है पञ्चबलि देने का सही तरीका
पितृपक्ष में श्राद्ध के समय सबसे पहले कंडा जलाकर भोजन से तीन आहुति दी जाती है। इसके बाद भोजन को अलग-अलग पांच अंशों में निकाला जाता है। इसके लिए गाय,कुत्ता,चींटी और देवताओं के लिए पत्ते पर भोजन निकाला जाता है। कौवे के लिए एक अंश जमीन पर रख दिया जाता है। फिर प्रार्थना की जाती है कि पितर आकर भोजन ग्रहण कर प्रसन्न होकर हमें अपना आशीर्वाद देंम
पंचतत्व से सम्बन्धित है पञ्चबलि
हिन्दू मान्यता के अनुसार पितृपक्ष में हमारे पितृ पशु-पक्षियों के रूप में हमारे पास आते हैं। यह रूप हैं गाय, कुत्ता, कौवा और चीटी। इन्हीं के माध्यम से पितृ भोजन ग्रहण करते हैं। इसी वजह से श्राद्धकर्म में पितरों के लिए आहार का 5 अंश निकाला जाता है, इसके बिना श्राद्ध कर्म अधूरा माना जाता है। इसमें कुत्ता जल तत्त्व का प्रतीक माना जाता है,चींटी को अग्नि तत्व,कौवा वायु तत्व, गाय पृथ्वी तत्व और देवताओं को आकाश तत्व का प्रतीक माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब श्राद्ध के दौरान भोजन के पांच अंश निकले जाते हैं तो ये पंचतत्वों के प्रति आभार व्यक्त करने का तरीका माना जाता है।