केरल में कोरोना स्थिति बेकाबू होती जा रही है और संक्रमण दर 12 फीसद से अधिक पहुंच गया है। हालात यह है कि देश में प्रतिदिन आने वाले कोरोना के नए मामलों में लगभग आधे अकेले केरल से आ रहे हैं। यही नहीं देश में कोरोना के कुल सक्रिय मामलों का 37 फीसद से अधिक अकेले केरल में है। विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि यदि राज्य में संक्रमण पर काबू नहीं पाया गया तो यह कोरोना की तीसरी लहर का सबब बन सकता है…
वीकेंड लॉकडाउन का फैसला
केरल में कोविड-19 महामारी के बढ़ते मामलों को देख राज्य सरकार ने वीकेंड लॉकडाउन लगाने का फैसला किया है। वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने राज्य सरकार को लिखित तौर पर निर्देश दिए हैं कि राज्य में उचित तरीके से कोविड गाइडलाइंस का पालन किए जाने की जरूरत है। वहीं पाबंदियां सख्त किए जाने पर सियासत भी गरमा गई है।
सियासत भी गरमाई
विपक्ष के नेता वीडी सतीसन ने कहा है कि हमें प्रतिबंध प्रक्रियाओं को बदलना होगा। सरकार पूरे राज्य में अवैज्ञानिक प्रतिबंध लगा रही है। भीड़ को प्रबंधित करने के लिए एक दिन की पाबंदी के बजाय सरकार को सभी सात दिन दुकानें खोलने की अनुमति दी जानी चाहिए। वहीं केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन ने केरल सरकार की ओर से ईद पर पाबंदियों में ढील देने को अवैज्ञानिक बताया है।
केंद्र ने भेजी टीम
केरल में कोरोना विस्फोट को लेकर चिंतित केंद्र सरकार ने विशेषज्ञों की छह सदस्यीय टीम को केरल रवाना किया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केरल भेजे जा रहे विशेषज्ञों की टीम की अगुवाई नेशनल सेंटर फार डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के निदेशक डाक्टर एसके सिंह कर रहे हैं। यह टीम केरल के सबसे अधिक प्रभावित जिलों का दौरा कर कोरोना की विस्फोटक स्थिति बनने के कारणों का जायजा लेगी और उसे रोकने के उपायों पर सुझाव देगी।
संक्रमण की गति तेज
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि शुक्रवार को केरल पहुंचने के बाद टीम राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श करेगी और हालात से निपटने में उनकी मदद करेगी। केंद्र सरकार की चिंता इसलिए भी बढ़ गई है कि केरल में इस साल के शुरू से ही कोरोना संक्रमण की गति तेज बनी हुई है।
केरल में संभल नहीं रहे हालात
जनवरी में भी महाराष्ट्र के बाद केरल ही दूसरा राज्य था जहां प्रतिदिन संक्रमितों की संख्या बढ़नी शुरू हुई थी। दूसरी लहर के बाद जून में धीरे-धीरे संक्रमण में गिरावट आई, लेकिन जून के अंतिम हफ्ते से इसमें तेजी का सिलसिला बरकरार है। केरल के अलावा केवल पूर्वोत्तर के राज्य ऐसे हैं, जहां संक्रमण की दर 10 फीसद से अधिक बनी हुई है।
विशेषज्ञों ने किया आगाह
विशेषज्ञों का मानना है कि अधिक समय तक संक्रमण दर तेज रहने से वायरस में म्यूटेशन का खतरा बढ़ जाता है और वह अधिक घातक रूप धारण कर सकता है। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केरल में संक्रमण पर लगाम लगाना जरूरी है, वरना यह कोरोना की तीसरी लहर का सबब भी बन सकता है।