कर्क संक्रांति का हिंदुओं में बहुत महत्व है क्योंकि यह श्रावण माह के दौरान होता है जो भगवान शिव को समर्पित है। कर्क संक्रांति से दक्षिणायन काल प्रारंभ होता है।
कर्क संक्रांति को कर्कटक संक्रांति और दक्षिण कर्कटक जयंती भी कहा जाता है। कर्क संक्रांति सावन के महीने में कृष्ण पक्ष के दौरान यानी 16 जुलाई, 2023 को पड़ती है। इस वर्ष कर्क संक्रांति का बेहद खास महत्व है अपनी राशि और ग्रह के अनुसार, दान औऱ पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है।
कर्क संक्रांति पुण्य काल – 16 जुलाई, 2023 – दोपहर 12:25 बजे से शाम 07:16 बजे तक
कर्क संक्रांति महा पुण्य काल – 16 जुलाई, 2023 – 04:59 अपराह्न से 07:16 अपराह्न तक
1 मेष राशि: जल में कुमकुम डालकर सूर्य को जल दें और गुड का दान करें।
2 वृषभ राशि: चांदी या सफेद फूल का दान करें और जल में दूध डालकर सूर्य देवता को अर्घ्य दें।
3 मिथुन राशि: सूर्य देव को जल में तिल मिलाकर अर्घ्य दें। किसी जरूरमंद को हरे मूंग का दान करें।
4 कर्क राशि: कर्क राशि वाले जातक किसी जरूरतमंद को चांदी, सफेद तिल चावल या पिर सफेद वस्त्र का दान करें।
5 सिंह राशि: सूर्य राशि वाले लोग कल संक्रांति के दिन लाल फूल डालकर लोटे से जल अर्पित करें और किसी जरूरतमंद को तांबा या नारंगी रंग का वस्त्र अर्पित करें।
6 मीन राशि: सूर्य देव को मंत्रों के साथ भक्ति भाव से मंत्रों का जाप करें और किसी जरूरतमंद को केसर दान करें। वहीं बच्चों को शिक्षा संबंधी चीजें दान करें।
7 कन्या राशि: कर्क संक्रांति के दिन घर में या बाहर पीपल या तुलसी का पौधा लगाएं और जरूरतमंदों को तिल दान करें।
8 तुला राशि: कर्क संक्रांति के दिन तुला राशि वाले जल में मिश्री मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। किसी जरूरतमंद को शक्कर, छाता दान करें।
9 वृश्चिक राशि: कल वृश्चिक राशि के जातक मसूर दाल और गुड का गरीबों में दान करें ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएगी।
10 धनु राशि: जल में हल्दी डालकर सूर्य देव को जल दें और फल, पीतल के बर्तन या फिल दाल का दान करें।
11 मकर राशि: कल मकर राशि वाले ब्रह्म मुहूर्त में सूर्याष्टकम का पाठ करें। चप्पल, काला तिल का दान करना इस दिन शुभ माना जाता हैं।
12 कुंभ राशि: सुबह स्नान करके सूर्य चालीसा का पाठ करें और छाता, कंबल का दान करें।
कर्क संक्रांति एक वर्ष में आने वाले बारह संक्रांति दिनों में से एक है। संक्रांति तब होती है जब सूर्य किसी राशि के एक भाव से दूसरे भाव में भ्रमण करता है। बस, संक्रांति हिंदू कैलेंडर में नए महीने की शुरुआत का प्रतीक है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार कर्क संक्रांति वर्षा ऋतु की शुरुआत का भी प्रतीक है।
दक्षिणायन छह महीने की अवधि तक रहता है और यह मकर संक्रांति उत्सव के साथ समाप्त होता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देशभर में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। कर्क संक्रांति के अवसर पर भक्त खाद्य सामग्री और कपड़े दान करते हैं जिसे अत्यधिक शुभ माना जाता है।
श्रावण मास के दौरान सभी शिव भक्तों द्वारा भगवान शिव की पूजा की जाती है। मानसून काल में शिला पूजन अत्यंत शुभ माना जाता है। कर्क संक्रांति के दिन पितृ तर्पण, पिंड दान और सूर्योदय के समय स्नान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
कर्क संक्रांति के दिन श्राद्ध भी किये जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि दक्षिणायन के दौरान, यदि परिवार के सबसे बड़े सदस्य द्वारा श्राद्ध किया जाता है, तो पितृ दिव्य शांति और स्थिरता की ओर अपना रास्ता बनाते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, इस दिन सूर्योदय से पहले जल्दी उठना चाहिए और स्नान करना चाहिए। कर्क संक्रांति पर भक्तों को भगवान विष्णु, भगवान सूर्य और भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।