सनातन धर्म में वैसे तो कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता हैं लेकिन रथ सप्तमी का त्योहार बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि सूर्य साधना को समर्पित होता हैं इस दिन भक्त भगवान श्री सूर्यदेव की विधि विधान से पूजा करते हैं और उपवास आदि भी रखते हैं इस बार रथ सप्तमी का पर्व 9 जुलाई को पड़ रहा हैं।
पंचांग के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर यह पर्व मनाया जाता हैं इस दिन भगवान भास्कर की पूजा अर्चना करने से साधक के सभी दुखों का अंत हो जाता हैं साथ ही आरोग्य की प्राप्ति होती हैं लेकिन इसी के साथ ही अगर इस दिन पूजा के समय श्री सूर्य स्तुति का पाठ किया जाए तो भगवान शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और साधक को करियर कारोबार में तरक्की प्रदान करते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं सूर्य स्तुति संपूर्ण पाठ।
श्री सूर्य स्तोत्र-
प्रातः स्मरामि तत्सवितुर्वरेण्यं,
रूपं हि मण्डलमृचोऽथ तनुर्यजूंषि।
सामानि यस्य किरणाः प्रभवादि हेतुं,
ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम् ॥
प्रातर्नमामि तरणिं तनुवाङ्मनोभि-,
र्ब्रह्मेन्द्रपूर्वकसुरैर्नुतमर्चितं च।
वृष्टिप्रमोचनविनिग्रहहेतुभूतं,
त्रैलोक्यपालनपरं त्रिगुणात्मकं च ॥
प्रातर्भजामि सवितारमनन्तशक्तिं,
पापौघशत्रुभयरोगहरं परं च।
तं सर्वलोककलनात्मककालमूर्तिं,
गोकण्ठबन्धनविमोचनमादिदेवम् ॥
श्लोकत्रयमिदं भानोः प्रातःकाले पठेत्तु यः।
स सर्वव्याधिविनिर्मुक्तः परं सुखमवाप्नुयात् ॥
श्री सूर्य स्तुति-
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन ।।
त्रिभुवन-तिमिर-निकन्दन, भक्त-हृदय-चन्दन॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सप्त-अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस-मल-हारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सुर-मुनि-भूसुर-वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सकल-सुकर्म-प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व-विलोचन मोचन, भव-बन्धन भारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
कमल-समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत साहज हरत अति मनसिज-संतापा॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
नेत्र-व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा-हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान-मोह सब, तत्त्वज्ञान दीजै॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
त्रिभुवन-तिमिर-निकन्दन, भक्त-हृदय-चन्दन॥