हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं लेकिन हर माह पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी का अपना महत्व होता हैं जो कि भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना को समर्पित होता हैं अभी सावन का पावन महीना चल रहा हैं और इस माह पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी को सावन संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जा रहा हैं जो कि आज यानी 6 जुलाई दिन गुरुवार को पड़ी हैं।
इस दिन भक्त भगवान श्री गणेश को खुश करने के लिए पूजा पाठ और व्रत आदि भी करते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु की विशेष कृपा बरसती हैं लेकिन इसी के साथ ही अगर आज संध्याकाल पूजन में अगर ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ भक्ति भाव से किया जाए तो भगवान प्रसन्न हो जाते हैं और आर्थिक समस्याओं को दूर कर देते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ये चमत्कारी पाठ।
ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र-
॥ ध्यान ॥
ॐ सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम् ।
ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम् ॥
॥ मूल-पाठ ॥
सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सिद्धए ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं पूजितो गण-नायक: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
पालनाय च तपसां विश्वामित्रेण पूजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं तीव्र-दारिद्र्य-नाशनं,
एक-वारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहित: ।
दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेर-समतां व्रजेत् ॥
ऋण मोचन मंत्र
॥ ॐ नमो ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं देही चिन्तां दूरं करोति स्वाहा ॥