सनातन धर्म के अनुसार तिलक लगाने का अपना ही एक महत्व है। कुछ व्यक्ति इसे ईश्वर से संबंध के रूप में देखते हैं, जबकि अन्य इसे मन और मस्तिष्क से संबंध के रूप में देखते हैं। हालाँकि अगर आपने कभी गौर किया हो तो देखा होगा कि लोग अलग-अलग मौकों पर अलग-अलग उंगलियों से तिलक क्यों लगाते हैं।
उदाहरण के लिए योद्धा, युद्ध में जाते समय अपने अंगूठे से तिलक लगाते हैं, जबकि बच्चे और अन्य लोग अपनी अनामिका से तिलक लगाते हैं। आइए अब इस प्रथा के पीछे के तर्क का पता लगाएं।
तिलक लगाने के लिए कौन सी उंगली का उपयोग करना उचित है
माथे पर तिलक लगाने के लिए मुख्य रूप से अनामिका उंगली का उपयोग किया जाता है। दरअसल इसके तीन कारण हैं। सबसे पहले,अनामिका उंगली को अत्यधिक शुभ माना जाता है। दूसरे, ऐसा माना जाता है कि इस उंगली में शुक्र ग्रह का वास होता है, जो सफलता और लंबे समय तक चलने वाली उपलब्धियों का प्रतीक है। साथ ही इस उंगली को सूर्य पर्वत की उंगली भी कहा जाता है। इसलिए जब अनामिका उंगली से तिलक लगाया जाता है तो यह व्यक्ति के लिए सूर्य के समान तेज, निरंतर सफलता प्राप्त करने और अटूट मानसिक शक्ति का वरदान होता है।
तिलक लगाने के कुछ नियम होते हैं
तिलक लगाते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करना जरूरी है। साथ ही शरीर में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए तिलक लगाने वाले व्यक्ति को अपना हाथ सिर पर रखना चाहिए। इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति बीमार है तो वह किसी भी समय अपने माथे पर तिलक लगा सकता है। इसके अलावा, किसी मृत व्यक्ति की तस्वीर पर तिलक लगाते समय छोटी उंगली का उपयोग करना होता है।