नई दिल्ली: अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति और कारोबारी राज कुंद्रा को सोमवार को कथित तौर पर मोबाइल एप के जरिये पोर्न फिल्में बनाने और उन्हें पब्लिश करने से संबंधित एक मामले में ‘मुख्य साजिशकर्ता’ होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.
कुंद्रा के खिलाफ आरोप हैं कि उन्होंने कथित तौर पर पोर्न पब्लिश करने और इसे मैनेज व मेंटेन करने के लिए इस्तेमाल होने वाले एक मोबाइल एप ‘हॉटशॉट्स’ को डेवलप करने के लिए एक कंपनी बनाई, जो व्हाट्सएप समूहों के माध्यम से इसके कामकाज और मौद्रिक लेन-देन पर नज़र रखती थी. इसके अलावा हॉटशॉट्स के वीडियो को पायरेसी से बचाने के लिए एक अन्य कंपनी भी बनाई और वैश्विक स्तर पर बड़े पैमाने पर बैंक खातों में संदिग्ध लेन-देन में भी शामिल रहे. उन्हें बुधवार को 23 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया.
लेकिन पोर्नोग्राफी पर भारतीय कानून क्या कहता है?
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम 2000, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम 2012 में पोर्नोग्राफी से जुड़े कई प्रावधान हैं. दिप्रिंट बता रहा है कि इनमें क्या कहा गया है.
निजी तौर पर पोर्न देखना गैरकानूनी नहीं
भारत में निजी स्थानों पर यौन सामग्री देखना अवैध नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने भी जुलाई 2015 में मौखिक तौर पर टिप्पणी की थी कि वह किसी वयस्क को अपने कमरे में गोपनीयता के दायरे में पोर्न देखने की व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का इस्तेमाल करने से नहीं रोक सकता है.
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संवैधानिक तौर पर अभिव्यक्ति की आजादी के इस्तेमाल पर किसी भी प्रतिबंध को संविधान के अनुच्छेद 19(2) में निहित आठ आधारों में से किसी एक के अनुरूप होना अनिवार्य है. दूसरे शब्दों में, कोई कानून इन आठ आधारों पर भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित कर सकता है, जिसमें ‘नैतिकता और शालीनता’ शामिल हैं.
पोर्न वेबसाइटों को ‘नैतिकता और शालीनता’ का उल्लंघन बताते हुए केंद्र सरकार के दूरसंचार विभाग ने जुलाई 2015 में एक आदेश जारी किया था, जिसमें इंटरनेट सेवा प्रदाताओं से 857 अश्लील वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने को कहा गया था. ये आदेश इंदौर के एक वकील की तरफ से अश्लील वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली याचिका के आधार पर जारी किया गया था.
हालांकि, कुछ दिनों बाद सरकार ने साफ किया कि प्रतिबंध केवल अस्थायी था और इसका उद्देश्य खासकर चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर रोक लगाना था.
पोर्न का पब्लिकेशन और ट्रांसमिशन अवैध है
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम से पहले किसी अश्लील पुस्तक, ड्राइंग, पेंटिंग आदि की बिक्री, वितरण, सार्वजनिक प्रदर्शनी या सर्कुलेशन के मामलों से निपटने के लिए खास तौर पर आईपीसी की धारा 292 का इस्तेमाल किया जाता था. इसमें कहा गया है कि ऐसी किसी भी सामग्री को अश्लील माना जाएगा ‘यदि यह कामुक है या इस तरफ रुझान की अपील करती है या फिर इसका प्रभाव.उस किसी व्यक्ति का चरित्र बिगाड़ने और भ्रष्ट करने वाला’ हो जो इसे पढ़ता, देखता या सुनता है.
आईपीसी की धारा 293 के तहत 20 वर्ष से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को अश्लील सामग्री बेचना, वितरित करना, प्रदर्शित करना या सर्कुलेट करना गैरकानूनी है और धारा 294 किसी भी सार्वजनिक स्थान पर अश्लील हरकत करने या अश्लील गाना गाने को अपराध की श्रेणी में लाती है.
हालांकि, इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में बड़े पैमाने पर अश्लील सामग्री उपलब्ध होने के बीच आईटी अधिनियम 2000 अश्लील सामग्री या यौन कृत्यों को दर्शाने वाली सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में पब्लिश या ट्रांसमिट करने को गैरकानूनी बनाता है.
अधिनियम की धारा 67 इलेक्ट्रॉनिक रूप में ‘अश्लील सामग्री’ पब्लिश या ट्रांसमिट करने को अवैध बनाती है. इसमें कहा गया है कि ऐसी सामग्री इस श्रेणी में आती है जो कि ‘कामुक हो या इस तरफ रुझान की अपील करती हो या फिर इसका प्रभाव.उस किसी व्यक्ति का चरित्र बिगाड़ने और भ्रष्ट करने वाला’ हो जो इसे पढ़ता, देखता या सुनता है. ऐसा करने वाले किसी भी व्यक्ति को तीन साल जेल और पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा हो सकती है.
आईटी अधिनियम की धारा 67ए इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में स्पष्ट यौन कृत्यों आदि वाली सामग्री को पब्लिश या ट्रांसमिट करने के मामलों में दंड को निर्धारित करती है. जो कोई भी स्पष्ट यौन कृत्यों से जुड़ी सामग्री को ‘पब्लिश या ट्रांसमिट करता है या पब्लिश या ट्रांसमिट करने की वजह बनता है’ उसे 10 लाख रुपये के जुर्माने के साथ पांच साल जेल की सजा हो सकती है.