भानु सप्तमी का पर्व सूर्य पूजा का दिन होता है. भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव की पूजा करने से सभी कष्ट और रोग दूर हो जाते हैं.सूर्य देव को वेदों की जगत आत्मा, जीवनदाता भी कहा गया है.
ऎसे में सूर्य उपासना द्वारा जीवन में शुभता का आगमन संभव होता है. इस वर्ष भानु सप्तमी का पर्व रविवार के दिन पड़ने से यह और भी विशेष बन जाएगा. क्योंकि यह दिन भगवान सूर्य की आराधना का विशेष समय होता है.
वैदिक ज्योतिष में भगवान सूर्य की पूजा का महत्व बताया गया है. प्राचीन काल से ही सूर्य की उपासना का विधान ग्रंथों में प्राप्त होता है. सूर्य देव को वेदों की आत्मा माना जाता है क्योंकि सूर्य देव से ही पृथ्वी प्रकाशित है. सूर्य देव को नौ ग्रहों का राजा कहा गया है और पंचदेव में सूर्य देव का विशेष स्थान है. इसलिए सूर्य देव की पूजा विशेष फलदायी होती है.ज्योतिष शास्त्र के अनुसारसुर्य की शक्ति को प्राप्त करके ही समस्य ग्रहों की शुभता भी स्वत: ही प्राप्त हो जाती है. आइए जानते हैं कि भानु सप्तमी की पूजा करने से क्या फल मिलते हैं.
भानु सप्तमी पूजा महत्व
शास्त्रों में भानु सप्तमी पूजन का संबंध भगवान कृष्ण के पुत्र सांब से भी माना गया है. उनके द्वारा सूर्य देव की पूजा करने से कुष्ठ रोग से उन्हें मुक्ति मिली थी. इसके अतिरिक्त कई कथाएं सूर्य देव की नियमित पूजा करने से सभी कष्ट और रोग दूर होने की बात को प्रकट करती हैं.
ज्योतिष के अनुसार सूर्य देव को नव ग्रहों में विशेष को माना जाता है. सूर्य देव को विश्व आत्मा, जीवन दाता परब्रह्म के समान वेदों के नामों से भी पुकारा जाता है. भानु सप्तमी के दिन सूर्य उपासना करने से जीवन में नकारात्मक गुणों का नाश होता है. जिस प्रकार सभी देवी-देवताओं की पूजा के लिए एक विशेष दिन निश्चित किया गया है उसी प्रकार भगवान सूर्य की पूजा के लिए रविवार का दिन है और इसी समय भानु सप्तमी का दिन पड़ने से भी यह समय विशेष बन रहा है.
शास्त्रों में भानु सप्तमी के दिन सूर्यदेव के विशेष मंत्र जाप करने से व्यक्ति सूर्य देव के महत्व और पूजा से फल प्राप्त करने के बारे में जान सकता है. भानु सप्तमी के दिन इन मंत्रों के जाप द्वारा भक्तों के समस्य कष्ट दूर होते हैं तथा जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है.
आरोग्यं भास्करादिच्छ्रयमिच्छेद्भहतानाशवान.
ईश्वराज्ज्ञानमन्विच्छेन्मोक्षमिच्छेज्जनार्दनात्..