अहमदाबाद: सन 1876 में महामंडलेश्वर नृसिंहदासजी को सपने में स्वयं भगवान द्वारा दिए गए आदेश को शिरोधार्य कर रथयात्रा का शुभारंभ किया गया। इसके बाद हर साल आषाढ़ द्वितीया को अहमदाबाद में जगन्नाथ भगवान की रथयात्रा आयोजित होती आ रही है।
इतने सालों बाद भी रथयात्रा की भक्ति में कोई कमी नहीं आई है। सभी धर्मों के लोग इसमें पूरी श्रद्धा के साथ शामिल होते हैं। साल में एक ही दिन भगवान स्वयं चलकर आते है। इस वर्ष 2023 अहमदाबाद में मंगलवार (20 जून) को भगवान जगन्नाथ की लगभग 147वीं रथयात्रा निकलने वाली है। इस रथयात्रा को लेकर राज्यभर के लोगों में भारी उत्साह नजर आ रहा है। सरकार भी इस यात्रा को लेकर काफी अलर्ट है और पहली बार इस यात्रा के दौरान एंटी ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया जाने वाला है।
चल समारोह अहमदाबाद शहर के जमालपुर इलाके में जगन्नाथ मंदिर से शुरू होता है और 14 किलोमीटर के रास्ते से होकर गुजरता है। अहमदाबाद रथ यात्रा के दौरान मुख्य आकर्षणों में से एक सजे-धजे हाथियों का जुलूस है। सजे-धजे हाथी अहमदाबाद रथ यात्रा से जुड़े लगभग सभी महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में भाग लेते हैं। एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता अखाड़ा साधुओं और महंतों की भागीदारी और विभिन्न विषयों के साथ कई झांकियां हैं। एक दिन के चल समारोह के बाद, देवताओं के रथ वापस जमालपुर स्तिथ जगन्नाथ मंदिर लौटते हैं। पौराणिक कथाओ के अनुसार भगवान कृष्ण अपने बाल पन में मामा कंस के यहा द्वारका घूमने आया करते थे। भगवान कृष्ण की बहुत सी बाल लीलाए द्वारका से जुडी हुई है।
सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम
रथयात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए हैं और भारी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया जाएगा। 14000 सुरक्षा कर्मी और 300 सीसीटीवी के साथ 5 ड्रोन भी सुरक्षा में रहेंगे, खबर ये भी है कि रथ यात्रा के पूरे मार्ग और विशेष रूप से चिन्हित किए गए प्वाइंट्स पर 3डी मैपिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। राज्य सरकार में मंत्री हर्ष सांघवी का कहना है कि रथ यात्रा के दौरान अनधिकृत ड्रोन का इस्तेमाल नहीं हो, इसलिए पहली बार एंटी-ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। पूरे राज्य में करीब 198 रथ यात्राएं निकालने की तैयारी है।
जगन्नाथ पूरी: सोने की झाड़ू से रास्ते की होती है साफ-सफाई, तीनों रथ के तैयार होने के बाद इसकी पूजा के लिए पुरी के गजपति राजा की पालकी आती है।इस पूजा अनुष्ठान को ‘छर पहनरा’ नाम से जाना जाता है। इन तीनों रथों की वे विधिवत पूजा करते हैं और ‘सोने की झाड़ू’ से रथ मण्डप और यात्रा वाले रास्ते को साफ किया जाता है।