हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं लेकिन भगवान श्री गणेश की पूजा को समर्पित विनायक चतुर्थी का व्रत बेहद ही खास माना जाता हैं इस दिन भक्त उपवास रखते हुए प्रभु की आराधना करते हैं।
पंचांग के अनुसार हर माह की चतुर्थी तिथि श्री गणेश की पूजा को समर्पित होती हैं अभी आषाढ़ का महीना चल रहा हैं और इस माह की चतुर्थी तिथि पर विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा।
जो कि इस बार 22 जून को पड़ रहा हैं मान्यता है कि इस दिन भगवान की विधि विधान से पूजा करने से साधक को उत्तम फलों की प्राप्ति होती हैं और कष्टों का भी निवारण हो जाता हैं। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा विनायक चतुर्थी की संपूर्ण पूजा विधि के बारे में बता रहे हैं, तो आइए जानते हैं।
पूजन का शुभ मुहूर्त-
धार्मिक पंचांग के अनुसार विनायक चतुर्थी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 59 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 47 मिनट तक का हैं इस दौरान लाभ उन्नति मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से दोपहर 2 बजकर 8 मिनट तक हैं। माना जाता है कि इस शुभ मुहूत भगवान श्री गणेश की पूजा आराधना करना उत्तम फल प्रदान करता हैं।
पूजन की संपूर्ण विधि-
विनायक चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और साफ वस्त्रों को धारण कर व्रत पूजन का संकल्प करें इसके बाद घर के पूजन स्थल पर एक घी का दीपक जलाएं। अब श्री गणेश को गंगाजल से स्नान कराएं इसके बाद भगवान को वस्त्र पहनाएं। फिर प्रभु का तिलक करें। भगवान गणेश को दूर्वा बेहद प्रिय हैं ऐसे में पूजा के समय दूर्वा जरूर अर्पित करें इसके साथ ही मोदक का भोग लगाएं और व्रत कथा का पाठ करें अंत में श्री गणेश की आरती पढ़ें साथ ही पूजा में होने वाली भूल चूक के लिए भगवान से क्षमा जरूर मांगे। माना जाता हैं कि इस विधि से पूजा पाठ करने से साधक को उत्तम फल मिलता हैं।