सनातन धर्म में चातुर्मास का खास महत्व होता हैं इस दौरान भगवान विष्णु चार महीनों के लिए क्षीरसागर में विश्राम के लिए चले जाते हैं। यही कारण है कि चातुर्मास में सभी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे शादी विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि कार्यों पर विराम लग जाता हैं।
माना जाता है कि चातुर्मास के दिनों में मांगलिक कार्यों को करने से शुभ फलों की प्राप्ति नहीं होती हैं। पंचांग के अनुसार चातुर्मास की शुरुआत आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से हो जाती है वही इसका समापन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर होता हैं इस बार चातुर्मास 29 जून से आरंभ हो रहा हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं कि इस दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं, तो आइए जानते हैं।
चातुर्मास में करें ये काम-
शास्त्र अनुसार चातुर्मास के दौरान एक ही स्थान पर रहकर तप जप करना उत्तम होता हैं। इस दौरान खान पान, व्रत के नियम और संयम का पालन करना बेहद जरूरी माना जाता हैं। इस दौरान पवित्र नदियों में स्नान व दान करने से देवी देवताओं की कृपा बरसती हैं। साथ ही भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप भी करते रहना चाहिए। कहा जाता है कि चातुर्मास में अधिक से अधिक धर्म कर्म के काम करने चाहिए ऐसा करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती हैं। इन चार महीनों में पीपल का वृक्ष लगाकर उसकी देख रेख करनी चाहिए।
ना करें ये काम-
आपको बता दें कि इन चार महीनों में पड़ने वाली श्रावण मास में पत्तेदार सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए साथ ही भाद्रपद माह में दही खाने से बचना चाहिए। आश्विन में दूध और कार्तिक के महीने में लहसुन प्याज का त्याग करना उत्तम माना जाता हैं इन चार महीनों में पलंग पर नहीं सोना चाहिए। ना ही कोई भी मांगलिक कार्य करना चाहिए। अगर कोई चातुर्मास में इन नियमों का पालन करता है तो उसे ईश्वर की कृपा प्राप्त होती हैं।