जम्मू: वैष्णो देवी की तीर्थयात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को अब पहला दर्शन कौल कंडोली का नहीं होगा, बल्कि भगवान वेंकटेश्वर का होगा क्योंकि तिरूपति बालाजी अब जम्मू में पधार चुके हैं।
दरअसल आज जम्मू में वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर प्रदेश के पहले तिरूपति बालाजी के मंदिर का उद्घाटन हुआ है और भक्तों के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए गए हैं।
वैष्णो देवी यात्रा के प्राचीन रास्ते में पहला दर्शन नगरोटा स्थित कौल कंडोली माता का मंदिर माना जाता रहा है पर अब जम्मू-कटड़ा नेशनल हाईवे पर तिरूपति बालाजी का मंदिर बन जाने से भक्तों को अब उनका पहला दर्शन करना होगा। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस मंदिर का उद्घाटन किया।
इस दौरान केंद्रीय मंत्री जी कृष्णा रेड्डी, केंद्रीय राज्यमंत्री जिंतेंद्र सिंह, सांसद जुगल किशोर शर्मा व अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। मंदिरों के शहर जम्मू में शिवालिक पहाड़ पर बने पहले तिरुपति बालाजी मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाने के बाद आंध्र प्रदेश से आए भगवान वेंकटेश्वर के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है।
मंदिर में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के समापन के बाद ही बुधवार भगवान बालाजी की मूर्ति मंदिर में स्थापित कर दी गई थी। आज सुबह से ही भगवान के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओ का आना आरंभ हो गया था।
उपराज्यपाल ने जम्मू वासियों के लिए इस अवसर को आलौकिक बताते हुए कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि त्रिकुट पर्वत पर मां वैष्णो, कश्मीर में बाबा अमरनाथ और अब शिवालिक वनों में भगवान वेंकटेश्वर लोगों का कल्याण करने के लिए आए हैं।
उन्होंने कहा कि इससे धार्मिक पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा। हालांकि मंदिर का उद्घाटन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को करना था। लेकिन वे किसी कारण इस कार्यक्रम का हिस्सा नहीं बन पाए। गृहमंत्री अमित शाह ने वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोगों को मंदिर के कपाट खुलने पर शुभकामनाएं दीं।
उन्होंने कहा कि वह जब भी प्रदेश दौरे पर पहुंचेंगे तो इस मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए जरूर आएंगे। केंद्रीय मंत्री जी कृष्णा रेड्डी ने कहा कि तिरुपति बाला देवस्थानम ट्रस्ट सनातन परम्पराओं को फिर से सशक्त और जीवंत बना रहा है। यह मंतातरण को रोकने का भी काम करता है।
उन्होंने कहा कि आज यहां जम्मू में तिरुपति बाला जी का मंदिर खुलने दुनियाभर में एक बार फिर कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत की एकात्मकता और आध्यात्मिक एकता का संदेश गया है। तिरुपति बालाजी का मंदिर सिद्दड़ा के मजीन गांव में 62 एकड़ भूमि पर करीब 30 करोड़ की लागत से तैयार किया गया है।
इससे पहले बुधवार को मंदिर में आठ और छह फुट की भगवान वेंकटेश्वर की मूर्तियां प्रतिष्ठापित कर दी गई हैं। आंध्रपदेश से आए 45 के करीब विद्वानों द्वारा पूजा-अर्चना, वैदिक मंत्रों के साथ मूर्तियां प्रतिष्ठापित की गईं। इस दौरान काफी संख्या में भक्तजन पहुंचे थे। मंदिर के मुख्य गर्भ ग्रह में 8 फुट ऊंची भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति प्रतिष्ठापित की गई है।
मूर्ति के निर्माण में ग्रेनाइट का इस्तेमाल किया गया है। गर्भ ग्रह के बाहर भी छह फुट की भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति प्रतिष्ठापित की गई है। ये मूर्तियां आंध्र प्रदेश के गुंतूर शहर से लाई गई हैं। मंदिर में छह मई से मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की विशेष पूजा शुरू हुई थी, जिसके बाद से धार्मिक अनुष्ठान जारी था।