चांग के अनुसार आषाढ़ माह शुक्ल पक्ष की एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है।
चातुर्मास भगवान विष्णु को समर्पित है। मान्यता है कि चातुर्मास के दौरान सृष्टि के संचालक भगवान विष्णु पाताल लोक में योग निद्रा में चले जाते हैं। इस दौरान वे अपना कार्यभार भगवान शिव को सौंप देते हैं। विष्णु जी की अनुपस्थिति के कारण विवाह-संस्कार एवं अन्य प्रकार के मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है। वहीं जब भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी के दिन निद्रासन से जाग्रत होते हैं तब चातुर्मास समाप्त हो जाता है। इसके बाद से पुनः मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। वैसे तो चातुर्मास यानी चौमासा चार महीने का होता है लेकिन इस बार चातुर्मास पांच महीने का होगा। ऐसे में चलिए जानते हैं इस साल चातुर्मास कब से शुरू हो रहा है और इसका समापन कब होगा…
चातुर्मास इस बार 5 महीने का क्यों है ?
इस साल यह 5 महीने का होगा, जिसकी शुरुआत 29 जून से हो रही है। वहीं इसका समापन 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी के दिन होगा। ऐसे में इस इस बार भगवान विष्णु 5 महीने तक योग निद्रा में रहेंगे।
इस बार चातुर्मास 5 महीने का क्यों है?
इस साल सावन के महीने में अधिक मास लग रहा है, इसलिए सावन एक नहीं बल्कि दो महीने का हो जाएगा। इस प्रकार चातुर्मास का भी एक महीना बढ़कर पांच महीने का हो जाएगा।
इन कार्यों पर लग जाएगी रोक
चातुर्मास में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य, जैसे- वैवाहिक कार्य, गृह प्रवेश, भूमि पूजन, मुंडन, तिलकोत्सव आदि कार्य नहीं किए जाते हैं। इसके अलावा चातुर्मास के दौरान गुड़, तेल, शहद, मूली, परवल, बैंगल, साग-पात आदि नहीं ग्रहण करना चाहिए।
चातुर्मास में क्यों नहीं किए जाते मांगलिक कार्य
दरअसल, चातुर्मास में सूर्य दक्षिणायन में विराजमान होते हैं। साथ ही भगवान विष्णु शयन अवस्था में होते हैं। ऐसे में इस अवधि में किए गए मांगलिक कार्यों पर भगवान विष्णु का कृपा नहीं बरसती है। इसलिए इस इस दौरान मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।