हिन्दू पंचांग के चौथे महीने को आषाढ़ मास कहा जाता है। आषाढ़ मास 5 जून से प्रारंभ होकर 3 जुलाई को समाप्त होता है। हिंदू धर्म में आषाढ़ मास को विशेष महत्व दिया गया है।
इस महीने को मनोकामना पूर्ति का महीना कहा जाता है। इस माह में व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी हो सकती है। आषाढ़ मास में वैसे तो कई व्रत और पर्व आते हैं, लेकिन उनमें से सबसे महत्वपूर्ण है देवशयनी एकादशी। कहा जाता है कि इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं। इसलिए इस मास में भगवान विष्णु की विशेष रूप से पूजा की जाती है। वहीं कुछ ऐसे काम भी हैं जिन्हें इस महीने में करने की मनाही होती है। वहीं कुछ कामों को करने से विशेष फल मिलता है।
भगवान विष्णु की पूजा का महत्व
शास्त्रों में कहा गया है कि आषाढ़ मास में भगवान विष्णु की पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। वहीं आषाढ़ मास के प्रथम दिन किसी ब्राह्मण को छाता, नमक और आंवले का दान करना शुभ माना जाता है.
आषाढ़ मास को यज्ञ और पूजा करने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इस मास में यज्ञ आदि करने से उसका फल अतिशीघ्र मिलता है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
आषाढ़ मास का महत्व
शास्त्रों में कहा गया है कि आषाढ़ मास में पूरी श्रद्धा से भगवान विष्णु की पूजा करने से धन की प्राप्ति होती है।
यदि कुंडली में सूर्य और मंगल की स्थिति मजबूत करनी हो तो आषाढ़ मास में इनकी पूजा करनी चाहिए। यह सूर्य और मंगल की स्थिति को मजबूत करता है और आर्थिक संकट को भी दूर करता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य भगवान को आरोग्य का देवता कहा जाता है। इसलिए आषाढ़ मास में सूर्य देव की पूजा करने से शारीरिक व्याधियों से मुक्ति मिलती है।