सरकार आगामी मानसून सत्र में डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल लाने जा रही है। अगर इस बिल को संसद की मंजूरी मिल गई तो बैंक में जमा पांच लाख तक की राशि का इंश्योरेंस हो जाएगा। यानी अगर बैंक डूबता है तब भी ग्राहक को अपनी पांच लाख रुपये तक जमा रकम हर हाल में मिल जाएगी। अभी बैंक में ग्राहक की जमा रकम पर सिर्फ एक लाख रुपये का इंश्योरेंस है।
आगामी 19 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में इस बिल को पेश करने की तैयारी कर ली गई है। दो वर्ष पहले वित्त मंत्रालय की तरफ से इंश्योर्ड एक लाख रुपये राशि की सीमा को पांच लाख रुपये तक बढ़ाने की घोषणा हुई थी, लेकिन इसे कानून का रूप नहीं दिया जा सका। पिछले वर्ष बजट में इसकी औपचारिक घोषणा की गई थी।
इस बिल को लाने के पीछे सरकार का उद्देश्य उपभोक्ताओं की गाढ़ी कमाई की रक्षा करना और सिस्टम में स्थिरता लाना है। बैंक में जमा राशि की इंश्योरेंस सीमा बढ़ाने से बैंक संचालित करने के जोखिम में भी कमी आएगी और ग्राहक भी खुद को अधिक सुरक्षित महसूस करेंगे।
अभी सरकारी बैंक के अधिकतर जमाकर्ता यह समझते है कि बैंक में जमा उनकी राशि पूरी तरह से सुरक्षित है और उस राशि को दिलाने की गारंटी सरकार की है। जानकारों के मुताबिक जमा राशि की इंश्योरेंस सीमा एक लाख से बढ़ाकर पांच लाख तक करने से अधिकतर जमाकर्ता पूरी तरह से सुरक्षित हो जाएंगे। हालांकि सीमा बढ़ने से इंश्योरेंस की लागत भी बढ़ेगी, जिसका बोझ ग्राहकों पर डाला जा सकता है। वहीं, सरकार आगामी मानसून सत्र में क्रिप्टोकरेंसी के नियामन संबंधी कोई बिल नहीं लाने जा रही है।