वट सावित्री पूर्णिमा व्रत देश के विभिन्न राज्यों जैसे महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, गुजरात आदि में मनाया जाने वाला एक पारंपरिक त्योहार है।
जहां उत्तर भारत में में भक्त ज्येष्ठ अमावस्या के दिन उपवास का पालन करते हैं, वहीं दक्षिण भारत में, लोग ज्येष्ठ पूर्णिमा या पूर्णिमा के दिन व्रत रखते हैं। वट सावित्री व्रत में विवाहित महिलाएं व्रत रखने से साथ वट सावित्री व्रत कथा का श्रवण करती हैं और इसके बाद पूरे विधि विधान से वट वृक्ष का पूजन करती हैं। इस बार वट सावित्री पूर्णिमा पर 3 शुभ योग का निर्माण हो रहा है। वट पूर्णिमा के दिन प्रातः काल और दोपहर मुहूर्त हैं। आइए जानते हैं वट सावित्री पूर्णिमा की तिथि, पूजा मुहूर्त शुभ योग के बारे में।
वट सावित्री पूर्णिमा व्रत 2023 तिथि
ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि आरम्भ: 3 जून, शनिवार, प्रातः 11:16 मिनट से यह तिथि अगले दिन ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि समाप्त: 4 जून, रविवार, प्रातः 09:11 मिनट तक
ऐसे में वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत 3 जून को रखा जाएगा।
वट सावित्री पूर्णिमा 2023 पूजा मुहूर्त
पूजा का शुभ मुहूर्त: 3 जून, शनिवार, प्रातः 07:07 मिनट से प्रातः 08: 51 मिनट तक दोपहर में पूजा का मुहूर्त: 12:19 मिनट से सायं 05:31 मिनट तक
लाभ-उन्नति मुहूर्त : दोपहर 02:03 बजे से 03:47 बजे तक
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: दोपहर 03:47 बजे से सायं 05:31 बजे तक है
वट सावित्री पूर्णिमा पर 3 शुभ योग
वट सावित्री पूर्णिमा के दिन यानी 3 जून, शनिवार को 3 शुभ योग बन रहे हैं ।
शिव योग: प्रातः काल से दोपहर 02:48 मिनट तक।
सिद्धि योग:दोपहर 02:48 मिनट से पूरी रात तक है।
रवि योग: प्रातः 05:23 मिनट से 06:16 मिनट तक
वट सावित्री का महत्व
वट या बरगद के पेड़ का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है जो तीन सर्वोच्च देवताओं- ब्रह्मा, विष्णु और शिव का प्रतिनिधित्व करता है। विवाहित महिलाएं तीन दिनों तक उपवास रखती हैं और ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से, वे अपने पति के लिए सौभाग्य और सौभाग्य लाती हैं, जिस तरह सावित्री ने अपने पति को मृत्यु के मुंह से वापस लाया था।