मत मतांतर से 14 और 15 को मनाई जा रही है। अधिकांश क्षेत्रों में इसे 15 को ही मनाया जाएगा।
अपरा एकादशी व्रत का पारण 16 मई 2023 को किया जाएगा।
अपरा एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष को आने वाली अपरा एकादशी का व्रत 15 मई 2023, दिन सोमवार को रखा जाएगा। एकादशी की तिथि 15 मई 2023 को सुबह 02 बजकर 46 मिनट पर प्रारंभ होगी जो अगले दिन यानी 16 मई 2023 की सुबह 01 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार अपरा एकादशी का व्रत 15 मई को ही रखा जाना शास्त्र सम्मत है।
व्रत पारण का शुभ मुहूर्त
16 मई 2023 को 6 बजकर 41 मिनट से 8 बजकर 13 मिनट तक व्रत पारण का शुभ मुहूर्त माना गया है।
अपरा एकादशी का अर्थ क्या है?
“अपरा” शब्द का अर्थ “असीम” होता है, जो असीम लाभों और और आशीर्वादों को दर्शाता है। जो भक्त इस एकादशी का व्रत रखते हैं उनके ऊपर भगवान विष्णु की विशेष कृपा बनी रहती है…
Apra Ekadshi के 11 दान
तिल का दान
अन्नदान
जल दान, मटकी दान, सुराही दान
जूतों का दान
गरीब, जरूरतमंद ब्राह्मणों को धन दान,
छाता दान,
बिस्तर दान,
वस्त्र दान
चने और गुड़ या सत्तू का दान
फल दान- खरबूज, तरबूज, आम, संतरा, अंगूर, नारियल सहित सभी रसीले फल
चांदी का दान
दान के नियम
एकादशी के दिन इन चीजों का दान सोना, चांदी, हाथी और घोड़ों के दान से भी ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है।
एकादशी के दिन किसी को भी चावल नहीं खाने चाहिए और न ही किसी को चावल दान करने चाहिए।
कभी भी प्लास्टिक से बनी चीजों का दान नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से व्यवसाय और घर में कई तरह के नुकसानों का सामना करना पड़ सकता है।
कभी भी स्टील के बर्तनों का दान नहीं करना चाहिए। स्टील के बर्तन दान देने से घर में अशांति फैल जाती है
चाणक्य नीति के अनुसार शास्त्रों में विद्या दान, भू दान, अन्न दान, कन्या दान और गो दान को सर्वोत्तम दान की श्रेणी में रखा गया है।
एकादशी पर भूलकर भी नमक का दान नहीं करना चाहिए। क्योंकि नमक का दान करने से आपको शनि की साढ़ेसाती झेलनी पड़ सकती है। साथ ही मान्यता है कि नमक का दान करने से व्यक्ति कर्ज में भी डूब जाते हैं।
एकादशी पर कपूर का दान करने से घर में सकारात्मकता का वास होता है और नकरात्मकता का नाश होता है।
मौसमी फलों का दान या उनका रस दान करने से जीवन में शुभता फलित होती है और रस दान करने से दांपत्य जीवन में सरसता आती है।
एकादशी का दान द्वादशी को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करके देना चाहिए। अगर यह संभव न हो तो सुपात्र के निमित्त दान रखकर संकल्प कर लेना चाहिए और फिर शुभ समय पर सुविधानुसार दे देना चाहिए।
एकादशी के अगले दिन पारण के बाद द्वादशी पर तीनों समय कुछ न कुछ दान जरूर करना चाहिए।