पटना हाई कोर्ट द्वारा बिहार में जाति आधारित गणना पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार अब सु्प्रीम कोर्ट पहुंची है।
बता दें कि हाईकोर्ट की खंडपीठ ने जाति आधारित गणना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर अपने आदेश में गणना और सर्वे में अंतर करार देते हुए इसपर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। साथ ही गणना के दौरान एकत्र किए गए डाटा को किसी के साथ साझा नहीं करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने माना कि जाति आधारित सर्वे एक प्रकार की जनगणना ही है।
राज्य सरकार की ओर से दायर इंट्रोलोकेट्री एप्लीकेशन (आईए) पर महाधिवक्ता पीके शाही ने बहस करते हुए कहा था कि द्वितीय चरण की गणना का काम लगभग 80 प्रतिशत पूरा कर लिया गया है। अब गणना का बहुत कम काम बाकी रह गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार पहले से इकट्ठा डाटा को किसी के साथ साक्षा नहीं करेगी। उन्होंने बाकी बचे हुए सर्वे के काम को पूरा करने की इजाजत देने की गुहार लगाई।
कोर्ट ने महाधिवक्ता की दलील पर कहा कि गत 4 मई को जारी आदेश में किसी भी तरह का संशोधन नहीं किया जाएगा। सरकार की ओर से पेश दलील को मंजूर किये जाने पर 4 मई के आदेश को पुनरीक्षित करना होगा। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मामले पर जल्द सुनवाई कर अंतरिम आदेश जारी किया गया है। खंडपीठ ने दो टूक कहा, यदि किसी को फैसले पर आपत्ति है तो वह इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के लिए स्वतंत्र है।