सवा साल पहले कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया देश के नए नागरिक उड्डयन मंत्री नियुक्त किए गए हैं। तकरीबन सात वर्ष बाद केंद्रीय सत्ता में शामिल हुए सिंधिया के कंधे पर दो बड़ी जिम्मेदारियां होंगी। एक तो कोरोना से बुरी तरह से प्रभावित देश के नागरिक उड्डयन सेक्टर को फिर से पटरी पर लाना और दूसरा देश के हर हिस्से को उड्डयन के मानचित्र पर लाना। यह कभी उनके पिता स्वर्गीय माधवराव सिंधिया का सपना था जो संयोग से इस सरकार का भी ख्वाब है।
माधवराव सिंधिया ने उठाए थे सुधारवादी कदम
माधवराव ने राव सरकार के कार्यकाल में वर्ष 1991-1993 के बीच केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के तौर पर कई सुधारवादी कदम उठाए थे। पदभार संभालने के बाद गुरुवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा भी है कि वह पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अपने पूज्य पिताजी के सपने को साकार करने की हरसंभव कोशिश करेंगे।
उम्मीद है कि वह अपने पिता की तरफ से स्थापित उच्च नैतिक मानदंड पर भी खरे उतरेंगे। वर्ष 2018 में टीडीपी की एनडीए से विदाई के बाद इस महत्वपूर्ण मंत्रालय को खास तौर पर संभालने वाले सिंधिया पहले मंत्री हैं। हरदीप सिंह पुरी पिछले दो वर्षो से इस मंत्रालय के साथ शहरी विकास मंत्रालय भी संभाल रहे थे और वाणिज्य मंत्रालय में राज्य मंत्री का भी पदभार संभाला हुआ था। ऐसे में इस मंत्रालय को जो तवज्जो मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिल सकी।
सिंधिया के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती
कभी देश में आर्थिक सुधार का एक चमकदार उदाहरण समझा जाने वाला नागरिक उड्डयन मंत्रालय कई तरह की चुनौतियों से जूझ रहा है। कोरोना महामारी ने इस सेक्टर से जुड़ी हर कंपनी को एक तरह से रसातल में पहुंचा दिया है। तरह-तरह के प्रतिबंधों व लाकडाउन की वजह से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों वाली एविएशन कंपनियों का संचालन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। ऐसे में सिंधिया के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती यही है कि एविएशन सेक्टर में उड़ानों का संचालन सुचारू तौर पर हो और लोगों में हवाई उड़ानों के प्रति भरोसा बढ़े।
मोदी सरकार ने देश के कोने-कोने को वाणिज्यिक उड़ानों से जोड़ने की जो योजना शुरू की थी उसे परवान चढ़ाया जा सकेगा। एयर डक्कन, एयर ओडिशा, स्पाइस जेट जैसी कंपनियों ने कम फायदे वाले क्षेत्रीय रूट पर खास सेवाएं शुरू की थीं जो अब ठप हो गई हैं। इन्हें चालू करने के साथ ही पीएम मोदी ने 100 नए एयरपोर्ट शुरू करने की बात कही थी जिसको लेकर कदम अभी तक नहीं उठाए जा सके हैं। देश के कुछ बड़े एयरपोर्ट के निजीकरण का काम सुचारू तौर पर चल रहा था, लेकिन कोरोना की काली छाया से वहां भी काम ठंडा पड़ गया। इन चुनौतियों के साथ ही सिंधिया को सरकारी उड्डयन कंपनी एयर इंडिया के विनिवेश की प्रक्रिया को भी ना सिर्फ आगे बढ़ाना, बल्कि उसे पूरा भी करना है।