बुद्ध पूर्णिमा के समाप्त होते ही 6 मई से ज्येष्ठ माह आरंभ हो रहा है।
यह माह 4 जून 2023 तक चलेगा। इस महीने में गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी और वट सावित्री का व्रत रखा जाता है और भगवान त्रिविक्रम की पूजा करने का महत्व होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज्येष्ठ मास में भगवान विष्णु का त्रिविक्रम रूप क्यों पूजा जाता है?
इस माह में जलदान का महत्व है। जलदान करने से कभी न खत्म होने वाला पुण्य प्राप्त होता है। इस महीने में मटके में पानी भरकर दान करना चाहिए या सार्वजनिक स्थानों पर प्याऊ लगवाना चाहिए।
Jyeshtha month and Lord Trivikram connection
पौराणिक मान्यता के अनुसार जयेष्ठ मास में भगवान विष्णु के त्रिविक्रम रूप की पूजा से जाने-अनजाने में किए गए सभी पाप नष्ट होकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
भगवान श्रीहरि विष्णु ने वामन रूप में जन्म लिया था। इन्हें ही त्रिविक्रम भी कहा जाता है। महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 109 के अनुसार ज्येष्ठ मास की शुभ तिथियों में उपवास कर जो भगवान त्रिविक्रम की पूजा करता है, वह गोमेध यज्ञ का फल पाता और अप्सराओं के साथ आनन्द भोगता है।
विष्णुपुराण के अनुसार
यमुनासलिले स्त्रातः पुरुषो मुनिसत्तम!
ज्येष्ठामूलेऽमले पक्षे द्रादश्यामुपवासकृत्।-६-८-३३ ..
तमभ्यर्च्च्याच्युतं संम्यङू मथुरायां समाहितः
अश्वमेधस्य यज्ञस्य प्राप्तोत्यविकलं फलम्।-६-८-३४
अर्थात : ज्येष्ठ मास में शुभ तिथियों पर उपवास करने, यमुना स्नान करने और भगवान त्रिविक्रम की पूजा करने से मनुष्य को अश्वमेध-यज्ञ का फल मिलता है।