प्रत्येक वर्ष रखे जाने वाले वट सावित्री वट की सनातन धर्म में बहुत मान्यता है. इस दिन शादीशुदा महिलाएं अपने पति के लिए व्रत रखकर उनकी लंबी आयु के लिए कामना करती हैं. यह त्योहार प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को रखा जाता है.
इस बार ये व्रत 19 मई को रखा जाएगा. हालांकि, देश के कुछ भागों में वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भी रखा जाता है. इसके मुताबिक, यह तिथि 3 जून का पड़ रही है.
तिथि:-
हिंदू पंचांग के मुताबिक, ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 18 मई की रात 9 बजकर 42 मिनट से शुरू होगी तथा अगले दिन यानी 19 मई की रात 9 बजकर 22 मिनट तक रहेगी. हालांकि, उदयातिथि के मुताबिक वट सावित्री व्रत 19 मई को रखा जाएगा.
पूर्णिमा और अमावस्या:-
वट सावित्री व्रत विशेष तौर पर पंजाब, दिल्ली, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, हरियाणा में रखा जाता है. यहां महिलाएं ज्येष्ठ अमावस्या के दिन व्रत करती हैं. वहीं, महाराष्ट्र एवं गुजरात में ज्येष्ठ पूर्णिमा को ये व्रत रखा जाता है.
शुभ मुहूर्त:-
वट सावित्री अमावस्या की बात करें तो इस दिन प्रातः 7 बजकर 19 से 10 बजकर 42 मिनट तक का पूजा के लिए शुभ मुहूर्त है. वहीं, वट सावित्री पूर्णिमा के लिए सुहागिन महिलाएं प्रातः 7 बजकर 16 से 8 बजकर 59 मिनट तक पूजा कर सकती हैं.
पूजा विधि:-
इस दिन वट यानी कि बरगद के पेड़ की जड़ में जल अर्पित किया जाता है. फिर वृक्ष के तने के चारों तरफ कच्चा सूत लपेटकर 3 बार परिक्रमा की जाती हैं तथा मौली, रोली, भीगे हुए चने, फूल, धूप-दीप से पूजा की जाती है.