हिंदू धर्म में हनुमानजी ही एकमात्र ऐसे देवता हैं जो कलयुग में धरती पर निवास करते हैं और सच्चे मन से उनका स्मरण करने से व्यक्ति के सभी संकट दूर हो जाते हैं। शास्त्रों में हनुमानजी के 12 नाम और उनका महत्व बताया गया है।
आइए जानते हैं हनुमान के 12 नामों की स्तुति, महिमा और लाभ के बारे में।
हनुमान
शास्त्रों के अनुसार हनुमानजी के इस नाम के पीछे एक पौराणिक कथा है। एक बार इंद्रदेव ने अपने व्रज से हनुमानजी का वध कर दिया। यह व्रज हनुमानजी की ठुड्डी (हनु) पर लगाया गया था। तभी से उनका नाम हनुमान पड़ा।
लक्ष्मण प्राणदाता
हनुमानजी का एक नाम लक्ष्मण प्राणदत्त भी है। हनुमान के इस नाम के पीछे एक कहानी है। रावण के पुत्र इंद्रजीत ने लक्ष्मण को बेहोश कर दिया तो हनुमानजी संजीव की जड़ी-बूटी ले आए। उसी जड़ी के प्रभाव से लक्ष्मणजी को होश आ गया। तभी से उनका नाम लक्ष्मण प्रंदत पड़ा।
दशग्रीवदरपहा
शास्त्रों के अनुसार दशग्रीवदरपः का अर्थ है दशग्रीव का अर्थ है रावण और दर्प का अर्थ है अभिमान का नाश करने वाला। हनुमानजी ने लंका जाकर माता सीता से भेंट की और रावण के पुत्र का वध किया। इसी तरह हनुमानजी ने कई बार रावण का घमंड तोड़ा और उनका नाम दशग्रीवदर्पह था।
रमेशत
हनुमानजी भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त हैं। शास्त्रों में यह भी उल्लेख है कि भगवान राम हनुमान को अपना प्रिय मानते हैं। भगवान श्री राम के प्रति उनके प्रेम के कारण उनका नाम रमेश रखा गया।
फाल्गुनसुख
महाभारत के अनुसार युद्ध के दौरान हनुमानजी अर्जुन के रथ की ध्वजा पर बैठ गए और ऐसी स्थिति में अर्जुन की मदद की। इसलिए उन्हें अर्जुन का मित्र कहा जाता है।
पिंग्क्षा
ज्योतिष शास्त्र में पिंगाक्ष का अर्थ है भूरी आंखें होना। कई धर्म ग्रंथों में हनुमानजी को भूरी आंखों वाला बताया गया है। इस प्रकार उनका नाम पिंगाक्ष पड़ा।
अमित विक्रम
शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी ने शक्ति के बल पर अनेक कार्य किए, जो देवताओं के लिए अत्यंत कठिन थे। इसीलिए उन्हें अमित विक्रम के नाम से भी जाना जाता है।
अतिक्रमण
बता दें कि ऋद्धिक्रमण का अर्थ है, जो समुद्र का अतिचार करता है या उसे पार करता है। माता सीता की खोज में हनुमानजी ने समुद्र पार किया था। इसलिए उनका नाम रिधिक्रमण पड़ा।
अंजनीसुता
हनुमानजी की माता का नाम अंजनीपुत्र था। ऐसे में उन्हें उनकी मां के नाम से भी जाना जाता है।
वायुपुत्र
ज्योतिष शास्त्र में हनुमानजी को वायुपुत्र भी कहा जाता है। पवनदेव के पुत्र होने के कारण इन्हें वायुपुत्र भी कहा जाता है।
महाबल
ऐसा माना जाता है कि हनुमानजी की शक्ति की कोई सीमा नहीं है। इसीलिए उन्हें महाबल के नाम से भी जाना जाता है।
सीता का शोक विनाश
पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमानजी को यह नाम माता सीता के कष्ट दूर करने के लिए दिया गया था।