शनि जयंती को शनिदेव के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस साल दो बार शनि जयंती मनाई जाएगी। वैशाख अमावस्या के दिन दक्षिण भारत में शनि जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है।
आपको बता दें कि इस बार शनि जयंती 20 अप्रैल को मनाई जाएगी. वहीं, एक महीने बाद उत्तर भारत के लोग 19 मई 2023 को ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जयंती मनाएंगे। शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए शनि जयंती का दिन विशेष माना जाता है। इस दिन जिनकी शनि ढैय्या और शनि की साढ़ेसाती चल रही हो वे शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं। कहा जाता है कि शनिदेव का व्रत करने से व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। जानिए कैसे करें शनिदेव व्रत और क्या होंगे लाभ.
कैसे करें शनि जयंती व्रत विधि का पालन?
शनि जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर लें। अब भगवान सूर्य को जल अर्पित करें। इसके बाद शनिदेव की प्रतिमा पर तेल, फूल माला और प्रसाद चढ़ाएं। काली उड़द और तिल शनिदेव के चरणों में अर्पित करें। इसके बाद सरसों के तेल का दीपक जलाएं। शनि चालीसा का पाठ करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। कहा जाता है कि शनि जयंती के दिन किसी गरीब को भोजन कराना शुभ होता है।
शनि जयंती व्रत रखने से लाभ होता है
1. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनिदेव का व्रत करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। साथ ही इसके सभी कार्य बिना किसी बाधा के संपन्न होते हैं।
2. कहा जाता है कि शनिदेव का व्रत लेने वाले व्यक्ति के आसपास हानिकारक, नकारात्मक और बुरी ऊर्जाएं नहीं भटकती हैं।
3. बाधाओं और कठिनाइयों से मुक्ति के लिए शनि जयंती व्रत करना चाहिए।
4. शनि जयंती पर शनिदेव का दर्शन करने से शनि महादशा, शनि सती और ढैय्या से मुक्ति मिलती है। इतना ही नहीं शनिदेव का अशुभ प्रभाव भी पल भर में दूर हो जाता है। तथा शनि के शुभ फल प्राप्त होते हैं।