धार्मिक पंचांग के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कालाष्टमी का व्रत पूजन किया जाता है जो भगवान शिव के रौद्र रूप यानी भगवान काल भैरव की पूजा को समर्पित है।
इस दिन भक्त भैरव बाबा की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि रखते है। मान्यता है कि कालभैरव की आराधना करने से जीवन में सुख शांति और समृद्धि आती है और सभी प्रकार के कष्टों का भी निवारण हो जाता है
इस बार कालाष्टमी का व्रत 13 अप्रैल दिन गुरुवार यानी कल रखा जाएगा। ऐसे में इस दिन भैरव नाथ को प्रसन्न करने के लिए पूजा पाठ और व्रत के साथ साथ अगर श्रीकालभैरव स्तोत्र का संपूर्ण पाठ किया जाए तो सभी प्रकार के रोग, भय, दोष और दुखों से मुक्ति मिल जाती है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ये चमत्कारी पाठ।
श्रीकालभैरव स्तोत्र-
नमो भैरवदेवाय नित्यायानंद मूर्तये ।
विधिशास्त्रांत मार्गाय वेदशास्त्रार्थ दर्शिने ॥ १ ॥
दिगंबराय कालाय नम: खट्वांग धारिणे ॥
विभूतिविल सद्भाल नेत्रायार्धेंदुमोलिने ॥ २ ॥
कुमारप्रभवे तुभ्यं बटुकाय महात्मने ।
नमोsचिंत्य प्रभावाय त्रिशूलायुधधारिणे ॥ ३ ॥
नमः खड्गमहाधार ह्रतत्रैलोक्य भितये ।
पुरितविश्र्व विश्र्वाय विश्र्वपालायते नमः ॥ ४ ॥
भुतावासाय भूताय भूतानां पतये नमः ।
अष्टमूर्ते नमस्तुभ्यं कालकालायते नमः ॥ ५ ॥
कंकाला याति घोराय क्षेत्रपालाय कामिने ।
कलाकाष्ठादिरुपाय कालाय क्षेत्र वासीने ॥ ६ ॥
नमः क्षत्रजित तुभ्यं विराजे ज्ञानशालिने ।
विधानां गुरवे तुभ्यं निधीनांपतये नमः ॥ ७ ॥
नमः प्रपंच दोर्दंड दैत्यदर्प विनाशिने ।
निज भक्तजनोद्दाम हर्ष प्रवर दायिने ॥ ८ ॥
नमो दंभारिमुख्याय नामैश्र्वर्याष्ट दायिने ।
अनंत दुःख संसार पारावारांत दर्शने ॥ ९ ॥
नमो दंभाय मोहाय द्वेषायोच्चोटकारिणे ।
वशंकराय राजन्य मौलिन्यस्य निजांघ्रये ॥ १० ॥
नमो भक्तापदा हंत्रे स्मृतिमात्रार्थ दर्शिने ।
आनंदमूर्तये तुभ्यं स्मशान निलयायते ॥ ११ ॥
वेताळभूत कुश्मांड ग्रहसेवा विलासिने ।
दिगंबराय महते पिशाचाकृति शालिने ॥ १२ ॥
नमो ब्रह्मादिभिर्वंद्द पदरेणु वरायुषे ।
ब्रह्मादि ग्रास दक्षाय निःफलाय नमो नमः ॥ १३ ॥
नमः काशीनिवासाय नमो दंडकवासिने ।
नमोsनंत प्रबोधाय भैरवाय नमो नमः ॥ १४ ॥
॥ श्री कालभैरव स्तोत्र संपूर्णम् ॥
॥ श्री कालभैरवार्पणंस्तु ॥