हमारे देश में कई सारे व्रत त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है। इन्हीं में से एक है रोहिणी व्रत जो बेहद ही खास माना जाता है। इस बार रोहिणी व्रत 23 अप्रैल दिन रविवार से आरंभ हो रहा है।
वैशाख रोहिणी व्रत जैन धर्म को मानने वालों के लिए बेहद ही खास होता है। इस व्रत को जैन समुदाय के लोगों दवारा बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रोहिणी व्रत को पति की लंबी आयु के लिए किया जाता है। इस व्रत से अच्छी सेहत का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्रवारा रोहिणी व्रत पूजा की विधि बता रहे हैं तो आइए जानते है।
रोहिणी व्रत पूजन की विधि-
जैन धर्म की मान्यताओं के अनुसार रोहिणी व्रत बेहद ही खास होता है। इस दिन सुबह ब्रहममुहूर्त में उठकर स्नान आदि करना चाहिए इसके बाद साफ वस्त्र धारण कर व्रत पूजन का संकल्प करें। फिर भगवान वासुपूज्य की पंच रत्न, ताम्र या स्वर्ण प्रतिमा को स्थापित करें इसके बाद प्रतिमा की विधिवत पूजा करें और दिनभर भगवान का ध्यान करें पूजा के बाद वस्त्र, पुष्प भगवान को चढ़ाएं। फिर फल व मिठाई का भोग लगाएं।
मान्यता है कि इस दिन मन में किसी प्रकार की बुरी भावना को उत्पन्न नहीं होने देना चाहिए। इस दिन कुविचारों से भी दूर रहना चाहिए किसी का अपमान या फिर किसी को अपशब्द कहने से भी बचना चाहिए। लेकिन इस व्रत को करने वाले साधक को नियमित रूप से तीन, पांच या सात वर्ष तक उपवास रखना चाहिए इसके बाद ही उद्यापन किया जाता है। वही जो लोग इस व्रत को वर्षों तक नहीं कर सकते है। वे पांच महीने के बाद भी व्रत का उद्यापन कर सकते है। मान्यता है कि व्रत रखने वालों को उद्यापन विधिवत तरीके से करना चाहिए तभी लाभ मिलता है।