कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। कर्नाटक में दिए एक विवादित बयान को लेकर सूरत की एक अदालत ने राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई है। दरअसल, साल 2019 में राहुल ने एक कार्यक्रम में कहा था कि ‘सभी चोरों का सरनेम मोदी ही क्यों होता है?’ राहुल के इस बयान को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेता पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ मानहानि का केस किया था।
गुरुवार को सूरत की एक अदालत ने इस मामले में राहुल को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने राहुल को दो साल की सजा सुनाई है और उन पर 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। राहुल को यह सजा जज एचएच वर्मा ने सुनाई है। ऐसे में लोगों को यह जानने में दिलचस्पी है कि आखिर कौन हैं जज एचएच वर्मा जिन्होंने राहुल को जेल की सजा सुनाई।
गुरुवार को राहुल गांधी को सूरत के जिला एवं सत्र न्यायालय में पेश किया गया। राहुल को सीजेएम (Chief Judicial Magistrate) एचएच वर्मा की कोर्ट में पेश किया गया। एचएच वर्मा का पूरा नाम हरीश हसमुख भाई वर्मा है। उनकी उम्र 43 साल है। आईपीसी की धारा 500 के तहत जज एचएच वर्मा ने राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई। इस हाई प्रोफाइल केस की सुनवाई करने वाले एचएच वर्मा का जन्म गुजरात के वडोदरा में हुआ था। एचएच वर्मा ने अपनी एलएलबी की पढ़ाई वडोदरा के ही महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय से की है। पढ़ाई करने के बाद एचएच वर्मा ज्यूडिशियल ऑफिसर बन गए थे। एचएच वर्मा के पिता एडवोकेट हैं। पिता की वजह से ही उनका रुझान ज्यूडिशियल सेवा की ओर बढ़ा।
गुजरात में एचएच वर्मा की छवि एक सख्त जज के रूप में है। अपनी कोर्ट को एचएच वर्मा रूल बुक के हिसाब से ही चलाते हैं, वो समय के एकदम पाबंद हैं। गुजरात हाई कोर्ट के निर्देश के बाद एचएच वर्मा ने राहुल गांधी मानहानि केस की सुनवाई जल्दी कर अपना फैसला सुना दिया। बता दें कि राहुल गांधी पर मानहानि का यह पांचवां केस है। इससे पहले राहुल गांधी पर मानहानि के चार केस हो चुके हैं। बाकी के सभी चार केस अभी अलग-अलग राज्यों की अदालतों में पेंडिंग हैं। मानहानि का आखिरी केस राहुल गांधी पर साल 2019 में हुआ था। इसी केस का फैसला जज एचएच वर्मा ने सुनाया। इस हाई प्रोफाइल केस के बाद एचएच वर्मा भी सुर्खियों में हैं। बता दें कि कोर्ट ने राहुल को दो साल की सजा सुनाई है पर उनकी सजा को 30 दिनों तक निलंबित रखते हुए उन्हें ऊपरी अदालत में जाने का मौका दिया है।