उत्तर प्रदेश के रायबरेली में पुलिस मशहूर शायर मुनव्वर राणा के बेटे तबरेज़ राणा की तलाश कर रही है. तबरेज़ पर आरोप है कि उन्होंने अपने ऊपर जानलेवा हमला करवाकर अपने चाचा और चचेरे भाइयों को फंसाने की साज़िश रची.
रायबरेली के पुलिस अधीक्षक श्लोक कुमार ने बीबीसी से कहा, “तबरेज़ की गिरफ़्तारी के लिए टीमें गठित कर दी गई हैं.”
वहीं मुनव्वर राणा के परिवार का कहना है कि ‘तबरेज़ को फंसाया जा रहा है और पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ झूठे सबूत गढ़े हैं.’
क्या है पूरा मामला
28 जून को रायबरेली में एक पेट्रोल पंप के पास तबरेज़ राणा की गाड़ी पर गोलियां चलाईं गईं थी. तबरेज़ राणा ने अपने चाचा और चचेरे भाई पर जानलेवा हमला करवाने के आरोप लगाए थे.
बाद में पुलिस ने गोली चलाने वाले युवकों को गिरफ़्तार करके दावा किया कि तबरेज़ ने ख़ुद ही अपने ऊपर गोलियां चलवाईं थीं.
पुलिस अधीक्षक श्लोक कुमार ने बीबीसी से कहा, “मुनव्वर राणा और उनके भाइयों के बीच संपत्ति विवाद चल रहा है. तबरेज़ राणा ने अपने ऊपर जानलेवा हमले की शिकायत की थी. मगर जांच में पता चला है कि उन्होंने ख़ुद ही हमले की साज़िश रची थी ताकि उनके चाचा इस मामले में फंस जाएं.”
रायबरेली पुलिस ने 48 घंटे के भीतर ही चार लोगों को गिरफ़्तार करने और पूरे घटनाक्रम की सीसीटीवी फ़ुटेज बरामद करने का दावा किया है.
श्लोक कुमार कहते हैं, “हमने सौ से अधिक स्थानों के सीसीटीवी फ़ुटेज बरामद किए. जांच की तो पता चला कि तबरेज़ की गाड़ी पेट्रोल डलवाने अंदर नहीं गई थी बल्कि पंप के बाहर ही खड़ी थी. पेट्रोल पंप के कर्मचारियों ने ये भी बताया है कि तबरेज़ ने वहां आकर सीसीटीवी चालू होने के बारे में जानकारी ली थी.”
पुलिस के मुताबिक़ घटना के समय कार का पेट्रोल टैंक भी लगभग फुल था.
श्लोक कुमार कहते हैं, “जांच में पुलिस को ऐसे सबूत मिले जिनसे तबरेज़ के दावों पर शक हुआ. फिर होटल की फ़ुटेज बरामद की गईं तो वह हमलावरों से मुलाक़ात करते हुए दिखे.”
पुलिस ने तबरेज़, साज़िशकर्ताओं और शूटर्स की मुलाक़ात का सीसीटीवी फ़ुटेज भी जारी किया है.
शुक्रवार रात को तबरेज़ की तलाश में पुलिस मुनव्वर राणा के घर भी पहुंची थी. मुनव्वर राणा के परिवार ने पुलिस पर बदसलूकी के आरोप लगाए हैं.
श्लोक कुमार बदसलूकी के आरोप को ग़लत बताते हैं और कहते हैं कि जो वीडियो राणा परिवार ने जारी किया है उसमें भी स्पष्ट है कि पुलिस बस अपना काम कर रही है.
विवाद की जड़ में ज़मीन
राणा परिवार के विवाद की जड़ में ग्राम चक बहादुर स्थित 17 बीघा पारिवारिक ज़मीन को बताया जाता है जिसका अभी पूरी तरह से बंटवारा नहीं हुआ है.
तबरेज़ राणा पर दूसरे हिस्सेदारों से सलाह मशविरे के बग़ैर ज़मीन बेच देने का आरोप है. मामला स्थानीय अदालत भी पहुंच गया है.
छह भाइयों में मुनव्वर राणा सबसे बड़े हैं. परिवार के सदस्यों के मुताबिक़, परिवार की अधिकतर संपत्ति निर्विवादित है और आपसी सहमति से बंट गई है लेकिन ग्राम चक बहादुर स्थित ज़मीन को लेकर विवाद है.
स्थानीय पत्रकार अनुभव स्वरूप यादव कहते हैं, “शहर फ़ैलते-फैलते अब इस ज़मीन के पास तक पहुंच गया है, ज़मीनों के दाम बढ़ गए हैं.”
तबरेज़ ने जिस चचेरे भाई यासर राणा पर हमले का आरोप लगाया है उन्होंने बीबीसी से कहा, “तबरेज़ को हमने उंगली पकड़ कर रायबरेली घुमाया है, उस पर हमला कराने का हम सोच भी नहीं सकते. ये तो अच्छा हुआ कि पुलिस ने पूरी तफ़्तीश कर ली.”
यासर कहते हैं कि रायबरेली के कुछ भूमाफियाओं की नज़र इस ज़मीन पर है और वो घर में लड़ाई कराकर सस्ते में ज़मीन ख़रीदना चाहते हैं.
ज़मीन के ख़रीदार ज़ब्बार अहमद ने बीबीसी से कहा है, “मैंने ज़मीन का मुंह मांगा और पूरा पैसा चुकाकर रजिस्ट्री कराई है. इसे अपने नाम कराने के लिए अर्ज़ी दे दी है. परिवार के विवाद से मुझे मतलब नहीं.”
बीबीसी ने इस बारे में मुनव्वर राणा से बात करने की कोशिश की लेकिन उनकी तबियत ख़राब होने की वजह से उनसे बात नहीं हो सकी.
राणा की बेटी सुमैया राणा ने बीबीसी से बात करते हुए पुलिस पर ठीक तरह से तफ़्तीश न करने का आरोप लगाया है.
वो कहती हैं, “हमारे अब्बा की मर्ज़ी से ही तबरेज़ ये ज़मीन बेच रहे थे. उन्हें पॉवर ऑफ़ अटार्नी दी गई थी. ये हमारे पिता की ज़मीन है जिस पर बाकी रिश्तेदार भी दावा ठोक रहे हैं.”
सुमैया कहती हैं, “हमारे अब्बा सबसे बड़े हैं, उन्होंने पूरी जिंदगी अपने भाइयों के लिए कमाया और लगाया, अब हमारे वही चाचा विवाद कर रहे हैं.”
वहीं मुनव्वर राणा के भाई राफे अली ने बीबीसी से कहा, “ये पुश्तैनी ज़मीन का बंटवारा है, घर में बैठकर हो सकता था, लेकिन तबरेज़ ने बिना बताए ज़मीन बेचकर इसे अदालत पहुंचाया, अब कोर्ट जो फ़ैसला करेगी हम सब उसे ही स्वीकार करेंगे.”
ट्रांसपोर्ट का काम करता है राणा परिवार
मुनव्वर राणा के पिता अनवर अली कोलकाता में ट्रांसपोर्ट का कारोबार करते थे. कंपनी का नाम उन्होंने राणा ट्रांसपोर्ट रखा था, बाद में राणा परिवार का उपनाम बन गया.
मुनव्वर राणा ने बाद में ये कारोबार अपने हाथ में ले लिया. उन्होंने राणा ट्रांसपोर्ट बंद करके ग़ज़ल ट्रांसपोर्ट की शुरुआत की जिसे अब उनके बेटे तबरेज़ संभाल रहे हैं.