अभी हाल ही में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा था कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तालिबानी नेताओं से मुलाकात की है। यह भी कहा जा रहा था कि मुलाकात के दौरान तालिबानी नेताओं ने विदेश मंत्री को आश्वस्त किया है कि उनके संगठन का भविष्य में भारत के साथ संबंध पाकिस्तान के विचारों एवं इच्छा पर निर्भर नहीं होगा। लेकिन अब विदेश मंत्रालय ने मीडिया में आई इन खबरों का खंडन किया है और साफ किया है कि विदेश मंत्री की तालिबानी नेताओं से कोई मुलाकात नहीं हुई है।
भारत ने तालिबान के कुछ नेताओं के साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर की मुलाकात का दावा करने वाली खबरों को शुक्रवार को पूरी तरह से झूठी और शरारतपूर्ण बताया है। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘हम अफगानिस्तान में सभी शांति वार्ता का समर्थन करते हैं और इस बारे में विभिन्न पक्षकारों के सम्पर्क में हैं।’ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने डिजिटल माध्यम से साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में यह बात कही। उनसे विदेश मंत्री जयशंकर की तालिबान नेताओं से मुलाकात करने का दावा करने वाली खबरों और अफगानिस्तान शांति वार्ता की स्थिति के बारे पूछा गया था।
दरअसल सोशल मीडिया पर ऐसी खबरें सामने आई थीं जिनमें दावा किया जा रहा था कि जयशंकर ने तालिबान के कुछ नेताओं के साथ मुलाकात की है। इस बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ‘हमने मीडिया में कुछ ट्वीट के माध्यम से आई उन खबरों को देखा है जिनमें दावा किया गया है कि विदेश मंत्री ने तालिबान के कुछ नेताओं के साथ बैठक की थी । हम विदेश मंत्री के किसी तालिबान नेता के साथ मुलाकात करने की बात से पूरी तरह से इंकार करते हैं’।
उन्होंने कहा आगे कहा कि ऐसी खबर ‘पूरी तरह से झूठी और शरारतपूर्ण हैं। उल्लेखनीय है कि ये खबरें ऐसे समय में आई जब अमेरिका 11 सितंबर तक अफगानिस्तान से पूरी तरह से अपने सैनिकों को वापस बुलाना चाहता है जिससे इस युद्धग्रस्त देश में दो दशकों से जारी अमेरिकी सैन्य उपस्थिति समाप्त हो जायेगी। भारत ने अफगानिस्तान में विकास कार्यो में करीब तीन अरब डालर का निवेश किया है।
प्रवक्ता ने कहा कि अफगानिस्तान के संदर्भ में वह विदेश मंत्री एस जयशंकर के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में दिये हाल के बयान की ओर ध्यान दिलाना चाहेंगे जो उस देश में भविष्य को लेकर सरकार की दृष्टि को स्पष्ट करता है। बागची ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने संबोधन में विदेश मंत्री जयशंकर ने विस्तार से इन बिन्दुओं पर चर्चा की थी और अफगानिस्तान में स्थायी शांति के समर्थन की बात कही थी । प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने (जयशंकर) ने अफगानिस्तान नीत, नियंत्रित एवं उसके स्वामित्व वाली शांति प्रक्रिया के समर्थन की बात की थी ।
उन्होंने कहा कि भारत, अफगानिस्तान में सभी शांति वार्ता का समर्थन करता है और इस बारे में विभिन्न पक्षकारों के सम्पर्क में है। अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति पर बागची ने कहा कि ‘हम वहां हिंसा बढ़ने से चिंतित हैं और इसी आधार पर हमने अफगानिस्तान में भारतीय नागरिकों के लिये परामर्श जारी किया है।’ गौरतलब है कि अफगानिस्तान के कई हिस्सों में हिंसा में बढ़ोतरी के मद्देनजर भारतीय दूतावास ने मंगलवार को एक परामर्श जारी करके देश में रह रहे और वहां काम कर रहे सभी भारतीयों को गैर जरूरी यात्राओं से बचने को कहा था।
परामर्श में दूतावास ने कहा था कि अफगानिस्तान में कई प्रांतों में सुरक्षा की स्थिति खतरनाक बनी हुई है और आतंकवादी गुटों ने हिंसक गतिविधियां बढ़ा दी हैं तथा आम नागरिकों को निशाना बनाकर हमले की घटनाएं हो रही हैं। दूतावास की ओर से कहा गया कि भारतीय नागरिकों को अगवा किये जाने का खतरा है। बता दें कि आधिकारिक आंकड़े के अनुसार अफगानिस्तान में वर्तमान में 3000 से अधिक भारतीय रह रहे हैं। दूतावास ने कहा था कि अफगानिस्तान में कई प्रांतों में सुरक्षा की स्थिति खतरनाक बनी हुई है।
आतंकवादी संगठन अफगानिस्तान से संचालित हो रहे हैं और उन्होंने अफगानिस्तान के कई हिस्सों में तथा अफगान रक्षा एवं सुरक्षा बलों और अफगान सरकार के प्रतिष्ठानों यहां तक कि आम नागरिकों को निशाना बनाकर हमले किये हैं। तेरह बिंदुओं के परामर्श में दूतावास ने कहा था कि भारतीय नागरिक भी अपवाद नहीं हैं और उन्हें अगवा किये जाने का गंभीर खतरा मंडरा रहा है।