पहली विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल हो गया और इस गदा का चैंपियन न्यूजीलैंड बन गया। हालांकि भारतीय प्रशंसकों को काफी निराशा हुई क्योंकि उन्हें अपनी टीम से काफी उम्मीदें थी। इससे पहले बलि का बकरा मिले, उससे पहले हमें यह याद करना होगा कि मैच के शुरुआती चार दिनों की स्थितियां न्यूजीलैंड में खेलने जैसी ही थीं।
नमी की स्थिति, बादल छाए रहने और पिच पर घास की उचित मात्रा ने ऐसे हालात बनाए जो कीवियों को रास आते हैं और जब ये उन्हें साउथैंप्टन में मिले तो उन्होंने इसका पूरा फायदा उठाया। भारत ने अच्छा संघर्ष किया खासकर पहली पारी में लेकिन दूसरी पारी में कीवी गेंदबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया और भारत को 170 रनों पर समेट दिया।
अंतिम दिन की स्थिति साफ थी और सूरज निकला हुआ था लेकिन, भारतीय सफेद गेंद के क्रिकेट खेलने के आदी हैं और उन्होंने एक टेस्ट मैच में आवश्यक धैर्य नहीं दिखाया। वे खराब शाट्स खेलकर खुद को गिराने में अहम भूमिका निभाई। खराब हालात में धैर्य और अच्छा शाट चयन कप्तान केन विलियमसन की दोनों पारियों में देख सकते हैं, जहां उन्होंने टीम की पारी को संभाला और टीम को चैंपियन बनाकर घर ले गए।
इसके अलावा उन्होंने यह भी दिखाया कि एक बल्लेबाज को बाहर निकलकर अपने शाट खेलने चाहिए। इस तरह की पिच पर शाट खेलना और गेंदबाजों के पक्ष की बात सोचना एक नकारात्मक सोच है। उन्होंने उस तरह से बल्लेबाजी की थी, जैसे उन्हें पता था कि उन्हें क्या करना है। और यही बल्लेबाज को करने की जरूरत है। डिफेंस और अटैक दोनों में ही शाट चयन महत्वपूर्ण होता है और टेस्ट मैच की बल्लेबाजी भी यही है।