कहते हैं छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी गलती को सुधारने का एक ही तरीका है. सबसे पहले उस गलती को पहचाना जाए. लेकिन टीम इंडिया (Team India) के मौजूदा कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) और कोच रवि शास्त्री (Ravi Shastri) इस विचार से इत्तेफाक नहीं रखते. वरना बुधवार को साउथैंप्टन में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (ICC World Test Championship Final 2021) के फाइनल में मिली हार के बाद विराट कोहली वो ‘बेतुके’ बयान नहीं देते. जरा सोच कर देखिए-दो साल की मेहनत पर पानी फिर गया. वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप की प्वाइंट टेबल में पहली पायदान पर काबिज टीम इंडिया फाइनल में हार गई. न्यूज़ीलैंड ने भारत को 8 विकेट के अंतर से हरा दिया. इस हार को अब कुछ घंटे बीत चुके हैं. लेकिन हार के जख्म अभी ताजा हैं. इन्हें भरने में अभी काफी वक्त लगेगा.
क्रिकेट फैंस को हार से ज्यादा अफसोस हार के तरीके से है. विराट कोहली के उन बयानों से है जो बताते हैं कि विराट कोहली अपनी गलती मानने को तैयार नहीं हैं. वो शायद भूल गए हैं कि फाइनल मैच से कुछ दिन पहले ही न्यूजीलैंड की टीम दुनिया की नंबर एक टीम बनी थी. वर्ना भारतीय टीम ही नंबर एक थी. और ऐसी टीम का ये प्रदर्शन चिंताजनक है. विराट कोहली ने हार के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि प्लेइंग-11 में एक और तेज गेंदबाज इसी सूरत में खेल सकता था अगर वो ऑलराउंडर हो. विराट कोहली भूल गए कि शार्दुल ठाकुर को इसी हैसियत से टीम में जगह दी गई थी. लेकिन शार्दुल को प्लेइंग 11 में मौका नहीं मिला.
विराट कभी नहीं मानते अपनी गलती
शार्दुल ठाकुर ने पिछला टेस्ट मैच ब्रिस्बेन में खेला था. जिसमें भारत ने तीन विकेट से एतिहासिक जीत दर्ज की थी. उस मैच में शार्दुल ने 7 विकेट लिए थे. इसके अलावा उन्होंने पहली पारी में 67 रन भी बनाए थे. इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में भी शार्दुल का प्रदर्शन अच्छा था. इसके अलावा वे बल्लेबाजी में गहराई की कसौटी पर भी खरे उतरते थे. लेकिन उन्हें 11 खिलाड़ी तो दूर 15 खिलाड़ियों में भी शामिल नहीं किया गया. पहले दिन का पूरा खेल बारिश की भेंट चढ़ गया था. टॉस नहीं हुआ था. विराट कोहली टॉस से काफी पहले ही टीम के प्लेइंग-11 का ऐलान कर चुके थे. हालांकि नियम के मुताबिक विराट कोहली प्लेइंग 11 में बदलाव कर सकते थे. इस बात की वकालत कई पूर्व क्रिकेटर्स ने की थी.
लेकिन विराट उसी प्लेइंग 11 पर अड़े रहे जिसका ऐलान उन्होंने पहले ही किया था. पिच और मौसम को ध्यान में रखकर न्यूज़ीलैंड की टीम बगैर स्पिनर के साथ उतरी. जबकि भारतीय टीम ने दो-दो स्पिनर खिलाए. पहली पारी में विराट ने जडेजा से सिर्फ 7.2 ओवर गेंदबाजी कराई. जो ये दिखाता है कि जडेजा की गेंदबाजी मैच के हालात के मुफीद नहीं थी.
तेज गेंदबाजों की यूनिट का गलत सेलेक्शन
जसप्रीत बुमराह के साथ कहीं न कहीं कोई दिक्कत है. चोट से वापसी के बाद वो अपनी लय में नहीं हैं. वो गेंदबाजी अच्छी कर रहे हैं लेकिन उन्हें विकेट नहीं मिल रहे हैं. साउथैंप्टन टेस्ट में वो एक भी विकेट लेने में नाकाम रहे. उनकी गेंद पर एक कैच जरूर छूटा. लेकिन ये कहानी इसलिए नई नहीं है क्योंकि पिछले 8 टेस्ट मैच में सिर्फ 2 में वो पांच विकेट ले पाए हैं. बाकि मैच में उन्हें इक्का दुक्का विकेट ही मिले हैं. इशांत शर्मा को पहली पारी में तीन विकेट मिले. लेकिन जिस तरह की पिच थी वो इशांत की गेंदबाजी के लिए भी मुफीद नहीं थी. बेहतर होता अगर विराट कोहली ने मोहम्मद सिराज को मौका दिया होता.
ये सच है कि मैच का नतीजा निकलने के बाद सवाल उठाना आसान होता है. आज ये कहना आसान है कि फलां गेंदबाज की जगह फलां को खिलाना चाहिए था. मैच के पहले ये आसान नहीं था. लेकिन इससे बड़ा सच ये है कि अब इस बात को अब स्वीकार करना चाहिए. जो ना तो विराट कोहली कर रहे हैं न ही रवि शास्त्री. रही तीन टेस्ट मैच के नतीजे पर चैंपियन तय करने की बात तो ये नियम दोनों टीमों के लिए एक जैसा था. सिर्फ भारत के लिए नहीं.