दिल्ली में कोरोना की दूसरी लहर थम चुकी है। यह पहली लहर के मुकाबले काफी घातक रही। इस बाद करीब 30 फीसदी मौतें ज्यादा हुईं। दैनिक मामले भी चार गुना ज्यादा रहे। पहली लहर में जहां अधिकतम सक्रिय मरीज 40 हजार तक ही पहुंचे थे। इस बार एक लाख के करीब हो गए थे। दैनिक मामले भी चार गुना ज्यादा रहे। पहली लहर के 10 महीनों पर ही दूसरी लहर के दो माह भारी पड़े हैं। अब संभावित तीसरी लहर का खतरा बना हुआ है।
दिल्ली में मार्च के आखिरी सप्ताह में दूसरी लहर शुरू हो गई थी। हर दिन संक्रमित रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ रहे थे। 20 अप्रैल को संक्रमितों की जो संख्या 28,395 हो गई थी। आलम यह था कि 25 मार्च से 1 मई के बीच ही 91 हजार सक्रिय मरीज बढ़ गए थे। मौतें भी रोजाना 150 से ज्यादा हो रही थीं। संक्रमण दर 35 फीसदी तक पहुंच गई थी। पहली लहर में जहां 11 हजार से कम मौतें थीं तो वहीं दूसरी में करीब 14 हजार लोगों ने जान गंवाई थी। दूसरी लहर में मौत का आंकड़ा 448 तक पहुंचा था। यह सभी मानक पहली लहर के मुकाबले कई गुना अधिक थे। दूसरी लहर की इस भयानक तस्वीर के बाद अब संभावित तीसरी लहर का खतरा बना हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना की अगली लहर आने की पूरी संभावना है, लेकिन अगर लोगों ने कोरोना से बचाव के नियमों का पालन जारी रखा और अधिक से अधिक टीकाकरण हो गया तो इसके खतरे का काफी हद तक कम किया जा सकता है।