नई दिल्ली। चिकित्सा विज्ञान क्षेत्र की प्रतिष्ठित पत्रिका लैनसेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बात के अब तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं, जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि कोविड-19 महामारी की तीसरी संभावित लहर में बच्चों के गंभीर रूप से संक्रमित होने की आशंका है।
लैंसेट कोविड-19 कमीशन इंडिया टास्क फोर्स ने भारत में ‘बाल रोग कोविड-19’ के विषय के अध्ययन के लिए देश के प्रमुख बाल रोग विशेषज्ञों के एक विशेषज्ञ समूह के साथ चर्चा करने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कोरोनावायरस (Coronavirus) से संक्रमित बच्चों में उसी प्रकार के लक्षण पाए गए हैं, जैसा कि दुनिया के अन्य देशों में देखने को मिले हैं।
बच्चों में हल्के लक्षण : रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 से संक्रमित होने वाले अधिकतर बच्चों में इस बीमारी के कोई लक्षण नहीं होते। कई बच्चों में संक्रमण के हल्के लक्षण देखने को भी मिले हैं। वायरस से संक्रमित होने के बाद अधिकतर बच्चों में बुखार और श्वास संबंधी परेशानियां जैसे लक्षण भी देखने को मिले हैं। वयस्कों की तुलना में बच्चों में हैजा, उल्टी और पेट में दर्द संबंधी अन्य जठर तंत्र संबंधी लक्षण देखने को मिले हैं। किशोरावस्था की उम्र के आसपास के बच्चों में बीमारी के लक्षण आने की आशंका भी प्रबल हो जाती है।
2600 बच्चों के क्लीनिकल आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट : देश में कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के दौरान कितनी संख्या में बच्चे संक्रमित हुए और अस्पताल में भर्ती हुए, इस संबंध में राष्ट्रीय स्तर पर आंकड़े तैयार नहीं किए गए हैं। इसलिए तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के 10 अस्पतालों में इस दौरान भर्ती हुए 10 साल से कम उम्र के करीब 2600 बच्चों के क्लीनिकल आंकड़ों को एकत्र कर उसका विश्लेषण करने के बाद ही यह रिपोर्ट तैयार की गई है।
आंकड़ों के मुताबिक 10 साल से कम उम्र के बच्चों में कोविड-19 के कारण मृत्यु दर 2.4 प्रतिशत दर्ज की गई। संक्रमण के कारण जान गंवाने वाले करीब 40 प्रतिशत बच्चे किसी न किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित भी थे।
9 फीस दी बच्चों में गंभीर लक्षण : लैनसेट की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराए गए 10 साल से कम उम्र के 9 प्रतिशत बच्चों में बीमारी के गंभीर लक्षण देखे गए। महामारी की दोनों लहरों के दौरान ऐसा देखा गया। देश के शीर्ष अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में बाल रोग विशेषज्ञ शेफाली गुलाटी, सुशील काबरा और राकेश लोढ़ा जैसे चिकित्सकों ने लैनसेट की ओर से किए गए इस अध्ययन में हिस्सा लिया।
काबरा ने महामारी की तीसरी संभावित लहर को लेकर कहा कि कोरोना से संक्रमित होने वाले 5 प्रतिशत से भी कम बच्चों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ेगी, जिनमें मृत्यु दर 2 प्रतिशत तक हो सकती है।
2 फीसदी बच्चों की मौत : काबरा ने कहा कि हम कह सकते हैं कि एक लाख संक्रमित बच्चों में से केवल 500 बच्चों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी और उसमें से 2 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु हुई है। बच्चों में बीमारी के गंभीर लक्षण होने की आशंका बेहद कम है। संक्रमित होने वाले कुछ बच्चों को ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है।
संक्रमित होने वाले केवल उन्ही बच्चों की मृत्यु हुई जो पहले से ही मधुमेह, कैंसर और कुपोषण जैसी अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे। सामान्य बच्चों में इसके कारण मृत्यु होने की आशंका बहुत ही कम है। लैनसेट की यह रिपोर्ट मार्च 2020 से दिसंबर 2020 के बीच तथा जनवरी 2021 से अप्रैल 2021 के बीच दोनों लहरों के आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई है।